Chanakya Niti in Hindi: आचार्य चाणक्य को अर्थशास्त्र, कूटनीति और नीतिशास्त्र के प्रखंड ज्ञाता थे। उन्होंने कई ऐसे शास्त्रों की रचना की, जिसके बल पर कई राजा-महाराजाओं ने दशकों तक अपना शासन चलाया है। आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतिशास्त्र में कहा है कि, हर मनुष्य के जीवन में कभी-कभी ऐसी स्थिति आ जाती है, जहां उसे तुरंत निर्णय लेना पड़ता है अन्यथा वह भयंकर परेशानी में फंस सकता हैं। उन्होंने अपने नीतिशास्त्र में शत्रु को हराने और उस पर विजय प्राप्त करने के बहुत ही प्रभावशाली तरीके बताएं हैं। चाणक्य के इन तरीकों को अपना कर कोई भी अपने शत्रु पर विजय हासिल कर सकता है।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि, हर समय शत्रु के सामने डटे रहना बुद्धिमानी नहीं होती है। जब शत्रु आपसे अधिक शक्तिशाली हो तो उस समय पीछे हट जाना ही बेहतर होता है। इसके बाद सही समय आने की प्रतीक्षा करनी चाहिए। इस समय को स्वयं की शक्ति को बढ़ाने पर खर्च करना चाहिए। इस दौरान अपने शुभचिंतकों को एकत्रित करने के साथ विद्वान लोगों के साथ बैठकर रणनीति बनानी चाहिए। तैयारी पूरी होने के बाद अपने शत्रु पर फिर से प्रहार करना चाहिए।
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आचार्य चाणक्य के अनुसार, अपने शत्रु को कभी कमजोर नहीं समझना चाहिए, उसके प्रत्येक गतिविधि पर नजर रखनी चाहिए। उसकी कमजोरियों का पता लगाना चाहिए। क्योंकि किसी बलवान शत्रु को उसकी कमजोरियों के दम पर ही परास्त किया जा सकता है। सभी की कोई न कोई कमजोरी होती है, इसलिए शत्रु की गतिविधियों पर नजर रखें और समय आने पर उसे पराजित करें।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि, हर सफल व्यक्ति के जीवन में सफलता के साथ शत्रु जरूर आते हैं। इनमें से कुछ शत्रुओं के बारे में हमें पता होता है, तो वहीं कुछ अज्ञात शत्रु भी होते हैं। ये शत्रु आपको सीधे नुकसान न पहुंचाकर छिपकर वार करते हैं। ऐसे शत्रु बहुत ज्यादा घातक साबित होते हैं। इनका पता लगाने के लिए बहुत सतर्क रहने की आवश्यकता होती है। व्यक्ति को अचानक वार होने पर घबराने की बजाय शत्रु की हर चाल का डटकर मुकाबला करना चाहिए।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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