आचार्य चाणक्य प्रकांड विद्वान थे और अपनी बुद्धि और नीतियों के बल पर उन्होंने अपने जीवनकाल हर किसी को मात दी थी और इस युग में उनकी नीतियों को अपननाने वाले भी हर किसी को मात देते हैं। उनकी नीतियों को यदि कोई जीवन में उतार ले तो वह व्यक्ति जीवन में हमेशा सफलता ही प्राप्त करेगा। कई बार इंसान अपनी ही गलतियों से अपना नाश कर बैठता है। चाणक्य की नीति कहती है कि इंसान को समुद्र के समान होना चाहिए। जो सब कुछ समा कर भी ऊपर से शांत नजर आता हैं। ठीक उसी तरह उन्होनें हर इंसान को अपनी पांच बातें खुद तक रखने का भी निर्देश दिया है।
"अर्थनाशं मनस्तापं गृहे दुश्चरितानि च ।
वञ्चनं चापमानं च मतिमान्न प्रकाशयेत् ।।"
यानी धन का नाश, मन का ताप (दुःख), स्त्री का चरित्र, किसी से ठगे जाने पर, किसी के द्वारा अपमान किए जाने की बात किसी को नहीं बतानी चाहिए। ये बातें गुप्त रखना ही बेहतर होता है।
चाणक्य की ये नीति जीवन में हर किसी को जरूर उतारना चाहिए, ताकि वह अपना मान-सम्मान बनाए रखे।
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