Gayatri Mantra ka Jap: गायत्री मंत्र जपते समय नियम और मर्यादा का रखें ध्यान, जानें क्या है तरीका

Gayatri Mantra ke Niyam, Devi Darsan Part 3 : ज्ञान और शक्ति की देवी गायत्री माता के मंत्र को जपने के नियम और मर्यादा को जाने ब‍िना इसका जाप सार्थक नहीं होता। जानें इस बारे में व‍िस्‍तार से

Chanting Gayatri Mantra mantra rules and method, गायत्री मंत्र जपने का जाने नियम
Gayatri Mantra : बहुत शक्‍त‍ि है इस मंत्र में 
मुख्य बातें
  • गायत्री मंत्र का जाप हमेशा एकांत और शांति से करना चाहिए
  • गायत्री मंत्र का जाप सूर्य उगने से पूर्व या सूर्यास्त के बाद करें
  • मंत्र जाप से दिमाग और स्वास्थ्य दोनों ही बेहतर होते हैं

वेदमाता गायत्री आदिशक्ति का स्वरूप मानी गई हैं। माता की पूजा और उनके मंत्रों का जाप इंसान को जीवन के संकटों से मुक्त कर मनोकामना की पूर्ति कराता है। कहा जाता है कि यदि गायत्री मंत्र का जाप ही इंसान रोज करता रहे तो उसे जीवन में किसी चीज की कमी नहीं होती है और उसके कार्य सिद्ध होते रहते हैं। हालंकि यदि मंत्र का जाप सही तरीके से न हो तो इसके लाभ नहीं मिलते, इसलिए गायत्री मंत्र के जपने के नियम, मर्यादा और विधि का ज्ञान होना भी जरूरी है। ऋषि विश्वामित्र ने गायत्री मंत्र की रचना की थी और इस मंत्र को जपने के न‍ियम भी बताए थे। 

गायत्री मंत्र

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यम भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो नः प्रचोदयात॥

 

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गायत्री मंत्र जपने से जुड़ी जानकारी और नियम

  • गायत्री मंत्र सूर्यभोमिक होता है। इसलिए इस मंत्र का जाप एकांत जगह पर करना चाहिए। नदी के किनारे या शांत जगह पर मंत्र जाप करें।
  • गायत्री मंत्र  शाम के समय इस मंत्र का जाप विशेष फलदायी होता है। सूर्य अस्त के साथ मंत्र का जाप शुरू कर तब तक करें जब तक अंधेरा न छा जाएं।
  • शास्त्रों में लिखा है कि सुबह के समय गायत्री मंत्र सूर्य उगने से पूर्व करना चाहिए और खड़े हो कर करना चाहिए और शाम को मंत्र का जाप बैठ कर करना चाहिए।
  • गायत्री मंत्र का जाप इंसान के अंदर समझ और सीख की शक्ति को बढ़ाता है।
  • इस मंत्र के जाप से दिमाग और स्वास्थ्य दोनों ही बेहतर होते हैं।
  • इस मंत्र का जाप समृद्धिकारक माना गया है। साथ ही ये शांति प्रदान करने वाला और अध्यात्मिकता से जोड़ने वाला मंत्र है।
  • इस मंत्र के जाप से दिल और श्वांस की प्रक्रिया समान्य होती है और एकाग्रता बढ़ती है।

गायत्री मंत्र के जप का अनुशासन और तरीका

गायत्री मंत्र का जप करने की एक निश्चित प्रक्रिया शास्त्रों में वर्णित है।  गायत्री मंत्र का जप हमेशा आंख बंद कर करें और हर शब्द पर ध्यान केंद्रित करना सीखें। प्रत्येक शब्द या ध्वनि सही तीरके से उच्चारित की जानी चाहिए। हालांकि इस मंत्र का जाप सबसे ज्यादा फलीभूत सूर्य उगने से पूर्व और सूर्य अस्त के बाद जपने से होता है, लेकिन दिन के किसी भी वक्त इसे शांत जगह पर जपा जा सकता है। इस मंत्र का जाप बच्चे, बूढ़े, स्त्री, पुरुष सभी कर सकते हैं। इस मंत्र का जाप हमेशा विषम संख्या में होनी चाहिए, जैसे 11, 21 या 51 आदि।

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