Reason Of Chaturmas: हिंदू धर्म से कई मान्यताएं और परंपराएं जुड़ी हैं। हिंदू धर्म में 33 कोटि (करोड़) देवी-देवता हैं और सभी का अपना महत्व भी है। भगवान विष्णु (Lord Vishnu) को जगत का पालनहार कहा जाता है। हर साल आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन से पूरे चार महीने के लिए जगत के पालनहार भगवान विष्णु सो जाते हैं, जिसे चातुर्मास (Chaturmas) कहा जात है।
शास्त्रों में इन चार महीने के दौरान सभी शुभ तथा मांगलिक कार्य करने पर प्रतिबंध होता है। इसके बाद भगवान विष्णु देवउठनी एकादशी (Devshayani Ekadashi) के दिन जागते हैं और फिर से सभी शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है। कहा जाता है कि भगवान विष्णु निद्रालीन होने के लिए चार महीने पाताल लोक चले जाते हैं। चातुर्मास के दौरान भगवान भोलेनाथ सृष्टि का संचालन संभालते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं आखिर क्यों भगवान विष्णु हर साल आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी (Ekadashi) से ही पूरे चार महीने के लिए निद्रालीन होते हैं। आइए जानते हैं इसका रहस्य।
चातुर्मास में भूलकर भी न करें ये कार्य
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चातुर्मास में भगवान विष्णु के निद्रालीन होने का रहस्य
पुराणों के अनुसार, बलि नामक एक राजा ने तीनों लोक पर कब्जा कर लिया था। तब देवराज इंद्र सहायता के लिए विष्णु जी के पास पहुंचे। इंद्र की विनती पर भगवान विष्णु वामन अवतार में राजा बलि के पास भिक्षा मांगने पहुंचे। विष्णुजी ने राजा बलि से तीन पग भूमि दान में मांगी। बलि ने उन्हें तीन पग भूमि दान में दे दी। लेकिन जब वामन रूप धारण किए विष्णुजी ने विशाल रूप धारण किया तो दो पग में धरती और आकाश नाप लिया। इसके बाद उन्होंने बलि से पूछा कि तीसरा पग कहां रखें। इसपर बलि ने कहा कि उनके सिर पर रख दें। इस तरह से बलि का अभिमान तोड़कर विष्णुजी ने तीनों लोक को बलि से मुक्त कर दिया।
लेकिन भगवान विष्णु राजा बलि के दयालुता और दानशीलता भाव से प्रसन्न हुए। इसलिए उन्होंने बलि को वरदान मांगने के लिए कहा। तब बलि ने भगवान विष्णु से पाताल लोक जाने की विनती की। विष्णुजी ने बलि को वरदान दिया कि वह हर साल आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक पाताल लोक में रहेंगे। इसके बाद विष्णुजी बलि को उसकी इच्छा के अनुसार वरदान देकर पालात लोक चले गए। तब से हर साल भगवान विष्णु चार महीने के लिए योगनिद्रा में रहते हैं।
(डिस्क्लेमर: यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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