किसी भी देवी की अराधाना के एक ही नियम हैं। भले ही हर देवी की पूजा का दिन या पर्व अलग-अलग हो, लेकिन देवी पूजा के नियम और वर्जनाएं एक ही हैं। देवी की विधि और तरीके अलग होते हैं। सामान्य पूजा में धूप-दीप दिखाना और आरती कर पूजा पूरी की जाती है, लेकिन देवी पूजा में बहुत ही बारीकियों से अराधना करनी चाहिए।
मंत्र जाप हो या मंत्र करने के लिए प्रयोग होने वाली माला, सब कुछ नियमों के अनुसार होना जरूरी है। इसलिए किसी भी देवी की अराधना करने से पहले पूजा की विधि और निषेध बातों को जान लें।
1. पूजा पाठ, साधना एवं उपासना करते समय मां का सोलह श्रृंगार जरूर करें।
2. मंत्र का जाप रोज एक ही समान करें। यानी कभी मंत्र ज्यादा तो कभी कम ना करें।
3. देवी की अराधना में भोग हमेशा मीठी चीजों का लगाएं और भोग लगाने के बाद ही कुछ भी खाएं।
4. जब भी देवी मंत्र का जाप करें अपने शरीर को हिलाएं नहीं। यानी एकाग्र चित होकर मंत्र जाप करें।
5. दुर्गा मंत्र का जाप करने के लिए चन्दन माला का प्रयोग करें।
6. माता लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करने के लिए स्फटिक की माला या कमलगट्टे की माला का ही प्रयोग करना चाहिए।
7. देवी की पूजा करने जब भी बैठें आसन ऊन या कंबल का ही होना चाहिए।
8. काली मां की आराधना में काले रंग की वस्तुओं का प्रयोग करना चाहिए। खुद भी काले वस्त्र पहनें और काले रंग का आसन प्रयोग करें।
9. देवी की आराधना में जिस भी सामग्री को रखना हो उसे पूर्व दिशा में ही रखना चाहिए।
10. देवी की आराधना के समय अपना मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर ही रखें।
11. घर में शक्ति की तीन मूर्तियां वर्जित हैं। यानी पूजाघर में देवी की तीन मूर्तियां नहीं होनी चाहिए।
12. देवी की जिस स्वरूप की आराधना आप करें। उनका मन में ही ध्यान करते रहे और पूजा करते रहें।
14. दुर्गा के पूजन के लिए पुष्प एवं पुष्प माला, रोली, चंदन, नैवेद्य, फल, दूर्वा, तुलसी दल जरूर होना चाहिए।
15. महावारी में केवल कमाख्या देवी की आराधना की जा सकती है।
तो अब देवी की पूजा करते समय इन नियमों और वर्जनाओं को जरूर ध्यान में रखें।
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