Devshayani Ekadashi 2022 Vrat Katha in Hindi: आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहते हैं। जिसका अर्थ होता है कि इस समय भगवान विष्णु सारी सृष्टि का भार शिव जी को सौंप कर योग निद्रा में चले जाएंगे। इस एकादशी को हरिशयनी एकादशी भी कहते हैं क्योंकि इसमें हरि यानी विष्णु शयन करने जाते हैं। इस साल ये एकादशी 10 जुलाई को आ रही है। कहते हैं इस दिन व्रत और विष्णु भगवान की पूजा अर्चना और दान-पुण्य करने से खूब लाभ होता है। शास्त्रों के अनुसार इस एकादशी के बाद से चातुर्मास लग जाता है। जिसमें चार महीने तक कोई शुभ मांगलिक काम नहीं किए जाते हैं।
इस व्रत कथा को पढ़ने और नियम अनुसार बताए गए उपायों को करने से आर्थिक तंगी, स्वास्थ्य, सौभाग्य, पाप मुक्ति जैसी सभी समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है।
अर्जुन ने कहा- हे श्रीकृष्ण! आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत क्यों रखते हैं? इस दिन किस देवता का पूजन होता है?
श्रीकृष्ण ने कहा- हे धनुर्धर! एकादशी का व्रत सभी व्रतों में उत्तम होता है। इस एकादशी का नाम देवशयनी एकादशी है, जिससे भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। इस सम्बन्ध में मैं तुम्हें एक पौराणिक कथा सुनाता हूं, ध्यानपूर्वक सुनो- एक समय एक सत्यवादी, महान तपस्वी और चक्रवर्ती सूर्यवंशी राजा मान्धाता राज करता था। इसके राज्य में कभी अकाल नहीं पड़ता था। कभी किसी प्रकार की प्राकृतिक आपदा नहीं आती थी, परन्तु एक बार न जाने क्यों देवगण उससे रुष्ट हो गए। और उसके राज्य में अकाल पड़ गया। अकाल से पीड़ित प्रजा एक दिन दुखी होकर राजा के पास जाकर प्रार्थना करने लगी- 'हे राजन! समस्त संसार की सृष्टि का मुख्य आधार वर्षा है। इसी वर्षा के अभाव से राज्य में अकाल पड़ गया है जिसके कारण प्रजा भूख से तड़प रही हैं। आप कोई ऐसा जतन कीजिये, जिससे हम लोगों का कष्ट दूर हो सके। नहीं तो विवश होकर प्रजा को किसी दूसरे राज्य में शरण लेनी पड़ेगी।'
Devshayani Ekadashi 2022 Wishes
राजा ने कहा- ' आप वर्षा न होने से बहुत कष्ट में हैं, यह सत्य है। राजा के पापों के कारण ही प्रजा को कष्ट भोगना पड़ता है। मैं बहुत सोच-विचार कर रहा हूँ, फिर भी मुझे अपना कोई दोष दिखलाई नहीं दे रहा है। आप चिंता न करें मैं कुछ उपाय जरूर करूंगा'।
राजा मान्धाता भगवान की पूजा करके कुछ व्यक्तियों को साथ लेकर वन में चले गए। वहाँ वे ऋषि-मुनियों के आश्रमों में घूमते-घूमते अन्त में ब्रह्मा जी के मानस पुत्र अंगिरा ऋषि के आश्रम पहुंच गए। रथ से उतरकर राजा ने ऋषि के सम्मुख पहुँचकर उन्हें प्रणाम किया। ऋषि ने पूछा- 'हे राजन! आप इस स्थान पर किस प्रयोजन से पधारे हैं, कहिये।' राजा ने कहा- 'हे महर्षि! मेरे राज्य में तीन वर्ष से वर्षा नहीं हुई है। इससे अकाल पड़ गया है और प्रजा बहुत कष्ट में है। राजा के पापों के प्रभाव से ही प्रजा को कष्ट मिलता है, ऐसा शास्त्रों में लिखा है। मैं धर्मानुसार राज्य करता हूं, फिर यह अकाल कैसे पड़ गया, इसका मुझे अभी तक पता नहीं लग सका। अब मैं आपके पास इसी सन्देह की निवृत्ति के लिए आया हूँ। आप कृपा कर मेरी इस समस्या का निवारण करें और प्रजा के उद्धार के लिए उपाय बतलाइये।'
Devshayani Ekadashi 2022 Vrat Niyam
सब वृत्तान्त सुनने के बाद ऋषि ने कहा- 'हे नृपति! इस सतयुग में धर्म के चारों चरण सम्मिलित हैं। यह युग सभी युगों में उत्तम है। इस युग में केवल ब्राह्मणों को ही तप करने तथा वेद पढ़ने का अधिकार है, किन्तु आपके राज्य में एक शूद्र तप कर रहा है। इसी दोष के कारण आपके राज्य में वर्षा नहीं हो रही है। यदि आप प्रजा का कल्याण चाहते हैं तो शीघ्र ही उस शूद्र का वध करवा दें। जब तक आप यह कार्य नहीं कर लेते, तब तक आपका राज्य अकाल की पीड़ा से मुक्त नहीं हो सकता।' ऋषि के वचन सुन राजा ने कहा- 'हे मुनिश्रेष्ठ! मैं उस निरपराध तप करने वाले शूद्र को नहीं मार सकता। किसी निर्दोष मनुष्य की हत्या करना मेरे नियमों के विरुद्ध है और मेरी आत्मा इसे कभी स्वीकार नहीं करेगी। आप इस दोष से मुक्ति का कोई दूसरा उपाय बतलाइये।' राजा को विचलित जान ऋषि ने कहा- 'हे राजन! यदि आप ऐसा ही चाहते हो तो आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की देवशयनी नाम की एकादशी का विधानपूर्वक व्रत करो। इस व्रत के प्रभाव से तुम्हारे राज्य में वर्षा होगी और प्रजा भी पूर्व की भाँति सुखी हो जाएगी, क्योंकि इस एकादशी का व्रत सिद्धियों को देने वाला है और कष्टों से मुक्त करने वाला है।'
Devshayani Ekadashi 2022 Puja Mantra
ऋषि के इन वचनों को सुनकर राजा अपने नगर वापस आ गया और विधानपूर्वक देवशयनी एकादशी का व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से राज्य में अच्छी वर्षा हुई और प्रजा को अकाल से मुक्ति मिली। इस एकादशी को पद्मा एकादशी भी कहते हैं। इस व्रत के करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं, अतः मोक्ष की इच्छा रखने वाले मनुष्यों को इस एकादशी का व्रत करना चाहिए।
कथा सार - अपने कष्टों से मुक्ति पाने के लिए किसी दूसरे का बुरा नहीं करना चाहिए। अपनी शक्ति से और भगवान पर पूरी श्रद्धा और आस्था रखकर सन्तों के कथानुसार सत्कर्म करने से बड़े-बड़े कष्टों से सहज ही मुक्ति मिल जाती है।
देवशयनी एकादशी 2022 तिथि प्रारम्भ – 9 जुलाई, शाम 4 बजकर 39 मिनट पर शुरू
देवशयनी एकादशी 2022 तिथि समाप्त – 10 जुलाई, दोपहर 2 बजकर 13 मिनट पर खत्म
देवशयनी एकादशी 2022 पारण तिथि – 11 जुलाई, सुबह 5 बजकर 56 मिनट से 8 बजकर 36 मिनट तक
(डिस्क्लेमर: यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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