दिलवाड़ा जैन मंदिर: रहस्यों की अद्भुत 'गाथा' का बेजोड़ शिल्प, वो 10 बातें जो आप नहीं जानते होंगे

आध्यात्म
Updated Aug 02, 2018 | 14:32 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

Dilwara Jain Temples in Mount Abu Rajasthan: दिलवाड़ा जैन मंदिर को राजस्थान का ताजमहल भी कहा जाता है। यह मंदिर राजस्थान के इकलौते हिल स्टेशन माउंटआबू में है। इस मंदिर का निर्माण आज भी एक रहस्य माना जाता है।

Dilwara Jain Temples in Mount Abu
राजस्थान के माउंटआबू में स्थित है दिलवाड़ा जैन मंदिर।  |  तस्वीर साभार: YouTube

नई दिल्ली: दिलवाड़ा जैन मंदिर को राजस्थान का ताजमहल भी कहा जाता है। यह मंदिर राजस्थान के इकलौते हिल स्टेशन माउंटआबू में स्थित है। दरअसल यह मंदिर पांच मंदिरों का समूह है। इस मंदिर का शिल्प और इसका वास्तुशिल्प इतनी सजीव है कि देखकर ऐसा लगता है कि मंदिर का वास्तु शिल्प अभी बोल उठेगा। इस मंदिर में सफेद मार्बल का इस्तेमाल कर अद्भुत वास्तु शिल्प को उकेरा गया है। आईए जानते हैं रहस्यों से भरपूर दिलवाड़ा जैन मंदिर की 10 खास बातें-

  • दिलवाड़ा जैन मंदिर 1100 साल पहले बना जिसका निर्माण गुजरात के वडनगर के बेहद कुशल इंजीनियरों और कारीगरों ने किया था। 
  • इस मंदिर के निर्माण में उस वक्त 18,53,00,000/- यानी कुल 18 करोड़ 53 लाख रुपए खर्च हुए। 
  • 1500 वास्तुशिल्प वाला यह अनोखा मंदिर 1200 मजदूरों ने 14 साल में बनाया।
  • इसके निर्माण में जो भी मजदूर लगे थे उन्हें मजदूरी के रूप में सोना और चांदी दिया गया था। फिर 14 साल के बाद हर मजदूर करोड़पति हो चुका था ।
  • दिलवाड़ा जैन मंदिर में मजदूरों को लंच के लिए दो घंटे का समय दिया जाता था। लेकिन मजदूरों ने सिर्फ आधे घंटे को ही लंच में इस्तेमाल किया बाकी समय यानी डेढ़ घंटा उन्होंने मंदिर के निर्माण में लगाया। 
  • ऐसा कहा जाता है कि इस तीन मंजिले मंदिर के निर्माण में यहां काम करने वाले मजदूरों ने भी आर्थिक मदद की थी, जिन्हें मजदूरी के तौर पर संगमरमर पर काम करने से निकले चूरे के बराबर सोना तोलकर दिया जाता था। 
  • दिलवाड़ा जैन मंदिर वस्तुतः पांच मंदिरों का समूह है। इन मंदिरों का निर्माण 11वीं से 13वीं शताब्दी के बीच में हुआ था। मंदिर का एक-एक हिस्सा ऐसा तराशा हुआ है मानो ऐसा लगता है कि यह अभी बोल उठेगा।  
  • दिलवाड़ा जैन मंदिर को राजस्थान का मिनी ताजमहल भी कहा जाता है और दिलवाड़ा जैन मंदिर देश के उन पांच मंदिरों में शुमार होता है जिसके निर्माण को अब भी रहस्य माना जाता है। 
  • इस मंदिर के बारे में यह कहा जाता है कि जब इसका निर्माण शुरु हुआ तब यहां बियावान जंगल थे। लिहाजा यह अनुमान लगाया जाता है कि इतने भारी भरकम संगमरमर और मार्बल के पत्थर को हाथी द्वारा लाया गया होगा।
  • दिलवाड़ा जैन मंदिर कई नामचीन हस्तियों के दीदार का भी गवाह रहा है। देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और पहले राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने भी इसका दीदार किया था। इसके बाद देश के पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी सहित कई सियासी हस्तियों ने इस मंदिर को देखने के लिए यहां आए थे।

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