Diwali 2021 Vrat Katha: भारत देश में रोशनी का पर्व दीपावली का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन का लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं। इसे खुशियों का त्योहार माना जाता है। शास्त्र के अनुसार इसी दिन भगवान श्री राम 14 वर्ष का वनवास काट कर अयोध्या लौटे थे। दीपावली के दिन सभी घरों में मां लक्ष्मी और भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना श्रद्धा पूर्वक की जाती हैं। हिन्दू धर्म में मां लक्ष्मी को धन और वैभव की देवी के रूप में पूजा जाता हैं। ऐसी मान्यता है कि मां लक्ष्मी की सच्चे मन से दीपावली के दिन पूजा करने से जीवन में धन का अभाव कभी नहीं होता।
हिन्दू शास्त्र के अनुसार इस दिन मां लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करने आती है। लोग मुख्य द्वार पर तरह-तरह की रंगोली बनाकर मां लक्ष्मी का स्वागत करते हैं। भारत में यह त्योहार हर साल कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है। इस साल दीपावली 4 नवंबर दिन गुरुवार को मनाई जाएगी। यहां जानें दीपावली हर साल कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को ही क्यों मनाई जाती है।
Diwali 2021 Puja Vidhi, Muhurat, Samagri
एक बार की बात है एक जंगल में एक साहूकार रहता था। उसकी बेटी प्रतिदिन पीपल पर जल चढ़ाया करती थी। जिस पीपल के पेड़ पर वह जल चढ़ाया करती थी उस पर पर मां लक्ष्मी निवास करती थी। एक दिन मां लक्ष्मी ने साहूकार की बेटी से कहा मैं तुम्हारी मित्र बनना चाहती हूं। यह सुनकर साहूकार की बेटी ने कहा मैं अपने पिता से पूछकर आपको बताऊंगी।
बाद में साहूकार की बेटी अपने पिता के पास गई और अपने पिता से सारी बात कह डाली। दूसरे दिन साहूकार की बेटी है मां लक्ष्मी से दोस्ती करने के लिए हां कर दी। दोनों अच्छे मित्र भी बन गए। दोनों एक दूसरे के साथ खूब बातचीत करने लगे। एक दिन मां लक्ष्मी साहूकार की बेटी को अपने घर ले गई। मां लक्ष्मी ने साहूकार की बेटी का खूब स्वागत किया। उन्होंने उसे अनेकों तरह का भोजन खिलाया।
जब साहूकार की बेटी मां लक्ष्मी के घर से वापस लौटी तो, मां लक्ष्मी ने उससे एक प्रश्न पूछा कि अब तुम मुझे कब अपने घर ले जाओगी। यह सुनकर साहूकार की बेटी ने मां लक्ष्मी को अपने घर आने को तो कह दिया लेकिन अपने घर की आर्थिक स्थिति को देखकर वह उदास हो गई। उसे डर लगने लगा कि क्या वह अपने दोस्त का अच्छे से स्वागत कर पाएगी। यह सोचकर वह मन ही मन दुखी हो गई। सहूकार अपनी बेटी के उदास चेहरे को देखकर समझ गया। तब उसने अपनी बेटी को समझाया कि तुम फौरन मिट्टी से चौका बनाकर साफ सफाई करो। चार बत्ती के मुख वाला दिया जलाकर मां लक्ष्मी का नाम लेकर वहां उनका स्मरण करों।
पिता की यह बात सुनकर उसने वैसा ही किया। उसी समय एक चील किसी रानी का नौलखा हार लेकर उड़ रहा था। अचानक वह हार सहूकार की बेटी के सामने गिर गया। तब साहूकार की बेटी ने जल्दी से वह हार बेचकर भोजन की तैयारी की। थोड़ी देर बाद भगवान श्री गणेश के साथ मां लक्ष्मी साहूकार की बेटी के घर आई। साहूकार की बेटी ने दोनों की खूब सेवा की। उसकी सेवा को देखकर मां लक्ष्मी बहुत प्रसन्न हुई और उन्होंने उसकी सारी पीड़ा को दूर कर दिया। इस तरह से साहूकार और उसकी बेटी अमीरों की तरह जीवन व्यतीत करने लगी।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | अध्यात्म (Spirituality News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल