देवी दुर्गा की प्रतिमा की स्थापना आप चाहे घर में करें या पंडाल में, आपको उनकी प्रतिमा स्थापना की सही दिशा का ज्ञान जरूर होना चाहिए। वास्तु शास्त्र में दिशा का महत्व बहुत मायने रखता है। शास्त्रों में हर देवी-देवता की प्रिय दिशाओं के बारे में वर्णन मिलता है। इसलिए हर देवी या देवता की पूजा भी उसी दिशा में करनी चाहिए। शास्त्रों में यह विस्तार से उल्लेखित है कि किसी देवी या देवता की प्रतिमा किस दिशा में होनी चाहिए और साधक को किस दिशा में मुखकर उनकी पूजा करनी चाहिए। यदि आप देवी दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करना चाहते हैं तो आइए आपको यह बताएं कि देवी की सबसे प्रिय दिशा कौन सी है।
प्रतिमा पश्चिम या उत्तर दिशा की ओर मुख कर रखें
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार,देवी दुर्गा की प्रतिमा पश्चिम या उत्तर की ओर मुख कर रखनी चाहिए। ताकि साधक जब उनकी पूजा करें तो उनका मुख दक्षिण दिशा या पूर्व दिशा में हो। यह दो दिशाएं ही देवी को प्रिय मानी गई हैं। पूर्व या दक्षिण दिशा में मुख कर पूजा करने से साधक को भी कई लाभ प्राप्त होते हैं। पूर्व दिशा की ओर मुख करके पूजा करने से चेतना जागृत होती है और दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके पूजा करने से मानसिक शांति की प्राप्ति होती है। इससे भक्त सीधे तौर पर भगवान से जुड़ जाता है।
वास्तु के अनुसार देवी की प्रतिमा का रंग
वास्तु के अनुसार देवी की प्रतिमा का रंग या पूजा घर का रंग हल्का पीला,हरा या गुलाबी ही रखना चाहिए। इससे सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। इसके साथ आप घर की पूर्वोत्तर दिशा में प्लास्टिक या लकड़ी से बने पिरामिड रख सकते हैं। ऐसा करने से पूजा करते समय ध्यान नहीं हटता है।
देवी के मंदिर या पूजाघर के बाहर बनाए स्वास्तिक
पूजा घर या मंदिर में जहां भी आप प्रतिमा की स्थापना कर रहे हैं, उसके बाहर हल्दी या सिंदूर से स्वस्तिक का चिन्ह जरूर बनाएं।
देवी दुर्गा की प्रतिमा घर में जब भी स्थापित करें वह बहुत बड़ी नहीं होनी चाहिए। घर में तीन इंच से बड़ी प्रतिमा नहीं रखनी चाहिए।
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