नई दिल्ली: भारत समेत दुनियाभर में ईद मिलाद उन नबी (Eid Milad Un Nabi) या ईद-ए-मिलाद (Eid-e-Milad) का पर्व मनाया जाता है। इस मर्तबा यह पर्व 30 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। 570 ईसवी में पैगंबर हजरत मुहम्मद का मक्का में जन्म हुआ था। पैगंबर की जयंती इस्लामी कैलेंडर हिजरी के अनुसार 12 रबी-उल-अव्वल को पड़ती है। यह तारीख मुसलमानों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि पैगंबर मुहम्मद (Prophet Muhammad) का जन्म इसी दिन हुआ था। पैगंबर मुहम्मद के जन्म की याद में ही ईद मिलाद उन नबी का पर्व मनाया जाता है। यह दिन पैगंबर मुहम्मद और उनके उपदेशों को पूरी तरह समर्पित होता है।
ईद मिलाद उन नबी इस साल भारत में ये 30 अक्टूबर को होगी कहा जा रहा है कि 29 अक्टूबर को ये शुरू होकर 30 अक्टूबर तक मनाई जाएगी। हालांकि इस वर्ष कोरोना महामारी के कारण सभी त्योहार थोड़े फीके हो गए हैं और लोग कोरोना से बचाव के लिए गाइडलाइंस का पालन कर रहे हैं, इस साल कोरोना महामारी के कारण बड़े जुलूस या समारोह के आयोजन नहीं होंगे।
ईद मिलाद उन नबी पर लोग अपने घरों से निकलकर खुशी का इजहार करते हैं और बड़ी तादाद में इकट्ठा होकर जुलूस निकाला जाता है। जुलूस में बच्चे, बड़े और बुजुर्ग नात शरीफ (पैगंबर मुहम्मद की तारीफ में पढ़ा जाने वाला कलाम) पढ़ते हैं। साथ ही जुलूस में पैगंबर की शिक्षाओं के बारे में बयान किया जाता है। इस दिन मस्जिद, घरों, सड़कों को सजाया जाता है और जरूरतमंद लोगों की मदद की जाती है।
हजरत मुहम्मद को इस्लाम का आखिरी नबी माना जाता है। मुसलमानों का अकीदा है कि पैगंबर मुहम्मद के बाद कोई नबी नहीं आएगा। मक्का में पैगंबर द्वारा दिए गए धार्मिक संदेश उस वक्त कई लोगों को पसंद नहीं आए जिस वजह से उन्होंने पैगंबर को परेशान करना शुरू कर दिया। इसके बाद पैगंबर ने अपने अनुयायियों के साथ मक्का छोड़ने का फैसला किया। पैगंबर मुहम्मद ने 622 ईसवी में मदीना के लिए कूच किया। इस यात्रा को हिजरत कहा जाता है और यहीं से इस्लामी कैलेंडर हिजरी की शुरुआत हुई।
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