एकादशी का व्रत भगवान विष्णु के निमित्त रखा जाता है। हर मास में एकादशी आती है और मास के अनुसार एकादशी व्रत का महात्मय भी बढ़ जाता है। एकादशी व्रत करने के लिए दशमी के दिन से व्रत के नियम लग जाते हैं जो द्वादशी तक चलते हैं। दशमी से लेकर द्वादशी तक व्रत के नियमों का पालन यदि मनुष्य नहीं करते तो इससे उन्हें व्रत का पूरा पुण्यलाभ नहीं मिलता। ऐसे में हर किसी को यह जानना चाहिए कि व्रत के अगले दिन पारण करते हुए क्या गलतियां न करें। एकादशी पर नियम और संयम के साथ व्रत रखकर भगवान विष्णु की उपासना करने के बाद अगले दिन द्वादशी तिथि पर पारण में खास चीजों का ही सेवन करने का विधान है।
इस व्रत के पारण में कुछ विशेष चीजों का प्रयोग करने से आपको व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त होता है और देवतागण भी प्रसन्न होते हैं। आइए जानते हैं क्या हैं चीजें।
भगवान विष्णु को तुलसी बेहद प्रिय है और उनकी पूजा में यदि तुलसी न हो तो वह पूजा या भोग वह ग्रहणनहीं करते। इसलिए भगवान विष्णु के किसी भी व्रत में तुलसी का प्रयोग जरूर करें और एकादश् व्रत के पारण के लिए भी आप तुलसी पत्र को अपने मुख में डाल कर कर सकते हैं।
आंवले के पेड़ पर भगवान विष्णु का वास होता है, इसलिए आंवले का भी विशेष महत्व होता है। एकादशी व्रत का पारण आंवला खाकर करने से अखंड सौभाग्या, आरोग्य और संतानसुख की प्राप्ति होती है।
एकादशी व्रत के पारण पर चावल जरूर खाना चाहिए। एकादशी व्रत के दिन चावल खाना मना होता है, लेकिन द्वादशी के दिन चावल खाना उत्तम माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन चावल खाने से प्राणी रेंगने वाले जीव की योनि में जन्म पाता है, लेकिन द्वादशी को चावल खाकर व्रत का पारण करने से इस योनि से मुक्ति भी मिल जाती है।
सेम को कफ और पित्त नाशक माना गया है और व्रत पारण के लिहाज से भी यह उत्तम माना गया है। ऐसे में सेम धार्मिक और स्वास्थ्य के हिसाब से बेहतर पारण भोज्य माना गया है
व्रत पारण में जो भी भोजन पकाया जाता है उसमें घी का प्रयोग करना चाहिए। गाय के शुद्ध घी से ही व्रत के पारण का भोजन बनना चाहिए। घी को सबसे शुद्ध पदार्थ माना गया है और ये सेहत के लिए भी अच्छा होता है।
भूल कर भी न करें पारण में इन चीजों का प्रयोग
पारण करते समय कुछ चीजें का प्रयोग भोजन में भूल कर भी नहीं करना चाहिए। मूली, बैंगन, साग, मसूर दाल, लहसुन-प्याज आदि का पारण में प्रयोग निषेध है। बैंगन पित्तं दोष को बढ़ाता है और उत्तेाजनावर्द्धक होता है,उवहीं मसूर की दाल को अशुद्ध माना गया है। मूली की तासीर ठंडी होती है, इसलिए यह व्रत के ठीक बाद सेहत के लिए सही नहीं होती। लहसुन-प्याज तामसिक भोजन होता है, इसलिए इसका प्रयोग भी वर्जित है। माना जाता है कि इसे खाने उत्तेजना, क्रोध, हिंसा और अशांति की भावना आती है।
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