केवल ये आदिदेव पहनते हैं बूट, इनकी ही उपासना के लिए हुई थी गायत्री मंत्र की रचना

Surya Dev Importent Facts: रविवार सप्ताह का पहला दिन होता है और यह भगवान सूर्य को समर्पित है। आइए जानते हैं भगवान सूर्य से संबंधिक कुछ रोचक तथ्य।

Suraya dev
Suraya dev (courtsy: National Musium New Delhi) 
मुख्य बातें
  • भगवान सूर्य आदि देव हैं जिन्हें नग्न आंखों से देखा जा सकता है
  • सूर्य देव की उपासना के लिए हुई थी गायत्री मंत्र की रचना
  • सूर्यदेव की पत्नी छाया के पुत्र हैं शनिदेव, जिनसे है उनकी शत्रुता

रविवार सप्ताह का पहला दिन होता है और यह सूर्य को समर्पित है। भगवान सूर्य को नवग्रह का राजा कहा जाता है। वो ही एक मात्र प्राकृतिक देव हैं जिन्हें नग्न आंखों से देखा जा सकता है। भगवान सूर्य को पुरातन काल से उपासना की जाती है और सूर्योदय के समय उन्हें अर्ग्घ दिए जाने की परंपरा है।भगवान सूर्य की ऊर्जा से सृष्टी का संचालन होता। आईए सूर्यदेव से संबंधित कुछ रोचक तथ्यों के बारे में जानते हैं। 

संज्ञा से हुआ था विवाह  
भगवान सूर्य का विवाह ब्रम्हा की पुत्री संज्ञा से हुआ था। सूर्य के तेज का सामना वो नहीं कर पाईं। भगवान सूर्य के तेज का सामना पत्नी नहीं कर सकीं और उन्होंने अपने ही समान वर्णवाली छाया प्रकट की और खुद पिता के यहां चली गईं। छाया को सवर्णा( एक जैस वर्ण वाली) नाम से भी जाना जाता है।

यम और यमुना- ये जुड़वीं संतानें हुई। यमुना को ही कालिन्दी कहा गया। उसके गर्भ से सूर्य की तीन संतानें उत्पन्न हुईं। जिनमें एक कन्या और दो पुत्र थे। सबसे बड़े पुत्र वैवस्तव मनु थे। इसके बाद पुत्र यम और पुत्री यमुना का जन्म हुआ। दोनों जुड़वा पैदा हुए थे। यम को काल और यमुना को कालिन्दी भी कहा जाता है। 

संज्ञा की छाया के गर्भ से उत्पन्न हुए शनिदेव 
संज्ञा के पिता के यहां चले जाने के बाद छाया उनके बच्चों का लालन पालन कर रही थीं। छाया संज्ञा की प्रतिमूर्ति थीं ऐसे में सूर्य देव उन्हें संज्ञा ही समझकर लिया। इसके बाद छाया के गर्भ से दो तेजस्वी पुत्र और एक पुत्री उत्पन्न हुई। सूर्यदेव और छाया के ज्येष्ठ पुत्र सावर्ण मनु के नाम से प्रसिद्ध हए। वहीं दूसरे पुत्र शनैश्चर या शनिदेव के नाम से प्रसिद्धि हुई। छाया की पुत्री ताप्ती थीं। जो कि यमुना की तरह धरती पर विराजमान हैं।

शनिदेव और सूर्यदेव के बीच इसलिए हुई शत्रुता
छाया शिव भक्त थीं। जब शनिदेव उनके गर्भ में थे उन्होंने भगवान शिव की इतनी कठोर तपस्या कि खाने-पीने की सुध तक उन्हें नहीं रही। इसका असर गर्भ में पल रहे शनि पर भी पड़ा और उनका रंग काला हो गया। जब शनिदेव का जन्म हुआ तो उनके रंग को देखकर सूर्यदेव ने छाया पर संदेह किया और उन्हें अपमानित करते हुए कह दिया कि यह मेरा पुत्र नहीं हो सकता।  ऐसे में मां के तप की शक्ति भी शनिदेव में भी आ गई थी उन्होंने क्रोधित होकर अपने पिता सूर्यदेव को देखा तो सूर्यदेव बिल्कुल काले हो गये। उनके घोड़ों की चाल रुक गई। परेशान होकर सूर्यदेव को भगवान शिव की शरण लेनी पड़ी और भोलेनाथ ने उनको उनकी गलती का अहसास करवाया। इसके बाद ही सूर्यदेव ने अपनी गलती स्वीकार की अपने पूर्व रूप को वापस पा सके। लेकिन पिता पुत्र के संबंध हमेशा के लिए खराब हो गए। 

कोणार्क में है सूर्य मंदिर 
ओडिशा के कोणार्क में है भगवान सूर्य की उपासना का मंदिर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी में हुआ था। इसका निर्माण गंग वंश के राजा नरसिंहदेव ने करवाया था। इसकी ऊंचाई 229 फिट है। इसे सूर्य देवालय के नाम से भी जाना जाता है। इसका निर्माण ओडिशा की कलिंग शैली में हुआ है। इस मंदिर को इसके विशिष्ट आकार और शिल्पकला के लिए दुनिया भर में जाना जाता है।

एकमात्र देव जो पहनते हैं बूट
सूर्य देव ही एकमात्र देवता हैं जो जूते या कहें बूट पहनते हैं। कोणार्क के सूर्य मंदिर के गर्भगृह में जिस मूर्ति की पूजा होती थी उस मूर्ति में उन्हें जूते पहने दर्शाया गया है। अन्य सभी देवताओं की मूर्तियों में उन्हें नंगे पैर ही दिखाया जाता है। 

सूरज के सात घोड़े
भगवान सूर्य के रथ में सात घोड़े होते हैं। सूर्य के सात घोड़ों के नाम गायत्री, भ्राति, उष्निक, जगती, त्रिस्तप, अनुस्तप और पंक्ति हैं जो कि मूल रूप से संस्कृत भाषा से उद्धृत हैं।  सूर्य के सात घोड़े सात दिन और सात रंगों के प्रतीक हैं। सूर्य के रथ में 12 जोड़ी पहिए हैं जो 12 माह के प्रतीक हैं। प्रत्येक पहिए में 8 मोटी और 8 पतली तीलियां बनी हैं। आठ मोटी तीलियां आठ पहर और पतली तीलियां उप-पहरों को दर्शाती हैं। अरुण उनके सारथी हैं। 

सूर्यदेव को समर्पित है गायत्री मंत्र 
गायत्री मंत्र की रचना भगवान सूर्य की उपासना के लिए की गई थी। इसकी रचना  महार्षि विश्वामित्र ने की थी। पहले वेद ऋगवेद में गायत्री मंत्र का उल्लेख है। 

रामायण काल में सूर्य के अंश से सुग्रीव और महाभारत काल में कर्ण का सूर्य से जन्म हुआ था। दोनों को सूर्य पुत्र कहा जाता है। 

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