Gaja Lakshmi Vrat 2022 Gold Purchase Benefits: हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से गजलक्ष्मी व्रत की शुरुआत हो चुकी है और इसका समापन अश्विन कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को होगा है। 16 दिवसीय चलने वाले गजलक्ष्मी व्रत का समापन 17 सितंबर 2022 को होगा और 18 सितंबर को व्रत का पारण किया जाएगा। मान्यता है कि यदि आप पूरे 16 दिनों तक गजलक्ष्मी का व्रत नहीं कर पाएं तो आखरी दिन व्रत जरूर रखें। इससे भी संपूर्ण फल की प्राप्ति होती है। गजलक्ष्मी का व्रत व पूजन धन-वैभव की देवी मां लक्ष्मी को समर्पित होता है। गजलक्ष्मी व्रत के दिन पूजा-अर्चना करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और मां लक्ष्मी की कृपा से कभी भी धन-संपत्ति की समस्या नहीं होती। सोना खरीदने के लिए भी यह दिन शुभ होता है। इस दिन खरीदे गए सोने में आठ गुना वृद्धि होती है।
गजलक्ष्मी व्रत के दिन सोना खरीदना होता है शुभ
गजलक्ष्मी व्रत का समापन शनिवार 17 सितंबर 2022 को होगा। मान्यता है कि इस दिन सोने की खरीदारी करना बेहद शुभ होता है। क्योंकि दिन खरीदे गए सोने में मां लक्ष्मी की कृपा बरसती है जिससे कि उसमें 8 गुना अधिक वृद्धि होती है।
इन मंत्रों का जाप करना होता है फलदायी
गजलक्ष्मी की पूजा के दौरान मां के इन प्रभावी मंत्रों का जाप जरूर करें। गजलक्ष्मी में माता लक्ष्मी के आठ रूपों की पूजा की जाती है। इसलिए इन आठ मंत्रों के जाप से आपको पुण्यफल की प्राप्ति होगी और पूजा का लाभ प्राप्त होगा।
ओम आद्यलक्ष्म्यै नम:
ओम विद्यालक्ष्म्यै नम:
ओम सौभाग्यलक्ष्म्यै नम:
ओम अमृतलक्ष्म्यै नम:
ओम कामलक्ष्म्यै नम:
ओम सत्यलक्ष्म्यै नम:
ओम भोगलक्ष्म्यै नम:
ओम योगलक्ष्म्यै नम:
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गजलक्ष्मी व्रत का महत्व
गजलक्ष्मी का पर्व राधाष्टमी के दिन से शुरू होकर पूरे 16 दिनों तक चलता है। इसमें मां लक्ष्मी के आठ रूपों की पूजा की जाती है। गजलक्ष्मी व्रत में चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है और इसके बाद व्रत का पारण किया जाता है। व्रत पूरे 16 दिनों तक रखा जाता है और इस दौरान अन्य ग्रहण करना नहीं होता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी हाथी पर विराजमान होती हैं। इसलिए इसे गजलक्ष्मी व्रत कहा जाता है। इस व्रत को रखने से धन-संपत्ति, सुख-समृद्धि और संतान की प्राप्ति होती है। 16 दिनों तक गजलक्ष्मी का व्रत करने के बाद 17 वें दिन उद्यापन करना भी जरूरी होता है।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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