Ganesh Chaturthi 2022 Katha: गणेश चतुर्थी की कथा सुनने से पूरे होंगे आपके सभी काम, जानिए पूजा की विधि

Ganesh Chaturthi Katha: गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) का त्योहार भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। गणेश जी से कई पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई है। जानते हैं गणेश जी से जुड़ी सबसे प्रचलित कथा के बारे में। इस कथा को गणेश चतुर्थी की पूजा में जरूर सुनना चाहिए।

Ganesh Chaturthi katha
गणेश चतुर्थी पर जरूर पढ़ें ये पौराणिक कथा 
मुख्य बातें
  • गणेश चतुर्थी पर जरूर सुनें पौराणिक कथा
  • भगवान गणेश से जुड़ी कथा का पाठ करने से प्रसन्न होते हैं विघ्नहर्ता
  • गणेश जी की पूजा और व्रत से भक्तों की सभी मनोकामनाएं होती है पूरी

Ganesh Chaturthi 2022 Mythology Katha: भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी मनाया जाता है। इसे विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म से जुड़े कई प्रमुख पर्व-त्योहारों में गणेश चतुर्थी का त्योहारों भी एक है। इस साल गणेश चतुर्थी बुधवार 31 अगस्त 2022 को मनाई जाएगी। हिंदू धार्मिक कथाओं के अनुसार भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को ही गणेश जी का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी पर विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है।हिंदू धर्म में भगवान गणेश से कई पौराणिक कथा कथाएं जुड़ी हुई है।

गणेश चतुर्थी पर जानते हैं भगवान गणेश से जुड़ी प्रचलित कथाओं और पूजा विधि के बारे में। गणेश चतुर्थी की पूजा के दौरान इस कथा को सुनने और पढ़ने मात्र से ही भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है और सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।

गणेश चतुर्थी पौराणिक कथा

गणेश जी के जन्म से जुड़ी ये कथा सबसे ज्यादा प्रचलित है। इस कथा के अनुसार एक बार भगवान शिव और माता पार्वती नर्मदा नदी के तट पर बैठे हुए थे। तभी माता पार्वती ने समय व्यतीत करने के लिए शिवजी से चौपड़ खेलने की बात कही। शिवजी भी राजी हो गए। लेकिन समस्या यह थी की खेल में हार-जीत के परिणाम का फैसला कौन करेगा। इस समस्या के समाधान के लिए भगवान शिव ने कुछ तिनकों को एकत्रित कर उसका पुतला बनाया और उसकी प्राण प्रतिष्ठा की, जिसके बाद पुतला बालक का रूप बन गया। शिवजी ने बालक से कहा हम चौपड़ खेलना चाहते हैं, लेकिन समस्या यह है कि हमारी हार जीत का फैसला करने वाला यहां कोई नहीं है इसलिए तुम्हें बताना होगा कि हम दोनों में से कौन जीता और कौन हारा। इसके बाद माता पार्वती और शिवजी के बीच चौपाल का खेल प्रारंभ हुआ। खेल में संयोगवश तीनों बार माता पार्वती जीत गईं। खेल समाप्त होने पर भगवान शिव ने बालक से हार जीत का फैसला सुनाने के लिए कहा। बालक ने भगवान शिव को विजयी बता दिया।

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यह सुनकर माता पार्वती अत्यंत क्रोधित हो गईं और क्रोध में आकर उन्होंने बालक को लंगड़ा होने और कीचड़ में पड़े रहने का श्राप दे दिया। माता पार्वती के क्रोध से पुतला भयभीत हो गया और उसने अपनी गलती के लिए माता पार्वती से क्षमा मांगी। बालक ने कहा कि मां मुझसे अज्ञानता के कारण भूल हुआ है, मैंने जानबूझकर ऐसा नहीं किया। बालक की बात सुन माता पार्वती भावुक हो गईं और उन्होंने बालक को श्राप से निजात पाने का उपाय बताया। उन्होंने कहा, यहां गणेश पूजन के लिए नाग कन्याएं आएंगी, उनके कहे अनुसार तुम भी गणेश पूजन करना। ऐसा करने से तुम क्षमा प्राप्त करोगे। यह कहकर मां पार्वती भगवान शिव के साथ कैलाश पर्वत पर चले गए।
ठीक एक वर्ष बाद उस स्थान पर नाग कन्याएं आई। बालक ने नाग कन्याओं से भगवान गणेश के व्रत व पूजन की विधि पूछा। इसके बाद बालक ने 21 दिन तक गणेश जी का व्रत और पूजन किया। बालक की भक्ति भाव से गणेश जी प्रसन्न हुए और बालक को साक्षात दर्शन दिया। गणेश जी ने बालक से मनोवांछित फल मांगने को कहा। बालक ने कहा हे विनायक मुझे इतनी शक्ति दीजिए कि मैं अपने पैरों से चलकर कैलाश पर्वत पहुंच सकूं। गणेश जी ने बालक को ऐसा ही वरदान दिया।

जब बालक कैलाश पर्वत पर पहुंचा तो शिवजी ने उससे पूछा कि तुम यहां कैसे पहुंचे। इसके बाद बालक ने भगवान शिव पूरी कथा सुनाई। बालक ने कहा कि माता पार्वती के बताए अनुसार मैनें गणेश जी का व्रत और पूजन किया, जिससे मुझे यह वरदान मिला। चौपड़ खेलने वाले दिन मां पार्वती भी भोलेनाथ से नाराज हो गई थी। ऐसे में भगवान शिव ने भी माता पार्वती को मनाने के लिए बालक के बताए अनुसार 21 दिनों तक गणेश जी का व्रत किया। व्रत के प्रभाव से माता पार्वती के मन में भगवान शिव के लिए जो नाराजगी थी वो दूर हो गई और माता पार्वती प्रसन्न होकर कैलाश पर्वत लौट आईं।

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सभी कष्टों के निवारण और मनोकामना पूर्ति के लिए विघ्नहर्ता गणेश जी का यह कथा अत्यंत फलदायी मानी जाती है। गणेश चतुर्थी पर व्रत रखने और विधिवत पूजा अर्चना करने से भक्तों पर भगवान गणेश की विशेष कृपा प्राप्त होती है। साथ ही इस कथा का पाठ और श्रवण करने से पूजा व व्रत का लाभ मिलता है।

गणेश चतुर्थी 2022 पूजा- विधि

गणेश चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और फिर पूजाघर के मंदिर में दीपक जलाएं। इस दिन शुभ मुहूर्त में भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा की स्थापना करें। आप अपनी इच्छानुसार या संकल्प के अनुसार डेढ़ दिन से लेकर 3, 5, 7 या 11 दिनों कर घर पर गणपति की मूर्ति स्थापित करें। सबसे पहले प्रतिमा का गंगाजल से अभिषेक करें। फिर चौकी में लाल कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश की स्थापना करें। गणेशजी को पुष्प, दूर्वा अर्पित करें और लाल सिंदूर चढ़ाएं। पूजा में भगवान गणेश की प्रिय चीजों जैसे लड्डू, मोदक और फलों का भोग लगाएं। गणेश जी से संबंधित व्रत कथा का पाठ करें और आखिर में भगवान गणेश जी की आरती करें।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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