Ganesh Chaturthi 2022 Visarjan: भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में गणेशोत्सव मनाया जाता है। इस साल गणेश उत्सव की शुरुआत हो चुकी है। गणेश उत्सव का त्योहार पूरे 10 दिनों तक धूमधाम से मनाया जाता है। इस दौरान घर-घर बप्पा की मूर्ति स्थापित की जाती है और चारों ओर ‘गणपति बप्पा मोरिया’ के जयकारे सुनाई पड़ते हैं। लेकिन इसके बाद बप्पा की विदाई भी की जाती है। क्योंकि गणेश महोत्सव के आखिरी दिन विसर्जन की परंपरा होती है। 10 दिवसीय महोत्सव के बाद अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति का विसर्जन किया जाता है। लोग नदी, तालाब, समुद्र में गणपति की प्रतिमा विसर्जित करते हैं।
अगर आप इको फ्रेंडली गणपति की स्थापना करते हैं तो किसी गमले या पानी के टब में भी इसका विसर्जन आसानी से कर सकते हैं। जानते हैं इस साल कब किया जाएगा गणपति विसर्जन और क्या है इसके लिए शुभ मुहूर्त।
कैसे शुरू हुई विसर्जन की परंपरा
गणेश उत्सव का त्योहार पूरे 10 दिनों तक हर्षोल्लास व धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इसके बाद गणपति के विसर्जन के साथ गणेश उत्सव का समापन होता है। लोग इस उम्मीद से गणपति का विसर्जन करते हैं कि वह अगले साल फिर से आएंगे। इसलिए विसर्जन के दौरान कहा जाता है ‘गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आना’। लेकिन जानते हैं कि गणपति विसर्जन की परंपरा की शुरुआत कैसे हुई। गणेश चतुर्थी पर्व के इतिहास बात करें तो बाल गंगाधर तिलक ने सबसे पहले महाराष्ट्र से इस पर्व की शुरुआत थी। इससे पहले भी गणेश चतुर्थी मनाई जाती थी। लेकिन लोग अपने घरों में ही गणेश जी की पूजा करते थे लेकिन पंडाल या फिर विशाल आयोजन नहीं किए जाते थे। बाल गंगाधर तिलक ने 1893 में सबसे पहली बार महाराष्ट्र में धूमधाम और सामूहिक रूप से इस पर्व की शुरुआत की उन्होंने। अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आवाज उठाई। उन्हें जन जन तक अपनी बात पहुंचाने के लिए एक मंच की जरूरत थी। इसलिए उन्होने गणेश महोत्सव की शुरुआत की। गणेश महोत्सव बाद गणेश विसर्जन भी किया गया था। तब से ही गणपति विसर्जन किए जाने परंपरा भी शुरू हो गई।
कैसे करें गणपति विसर्जन
विसर्जन बप्पा की विदाई दिन होता है। इसलिए इस दौरान भक्त भावुक भी हो जाते हैं। गणपति विसर्जन के लिए नाचते हैं, गाते हैं, रंग गुलाल उड़ाते हैं और धूमधाम से बप्पा के गीत गाते हुए विदाई देते हैं। गणपति विसर्जन हमेशा जल कुंड में करना चाहिए। सबसे पहले एक लकड़ी के पाट में पीला या लाल रंग का कपड़ा बिछा लें फिर इसमे स्वास्तिक बनाएं। पाट में अक्षत फूल रखकर गणपति की मूर्ति रखें। बप्पा की मूर्ति की विधिवत पूजा करें फल-फूल अर्पित करें और मोदक का भोग लगाएं। सभी लोग मिलकर बप्पा की आरती करें। गणपति की प्रतिमा और पूजा से जुड़ी चीजों का सम्मान पूर्वक विसर्जन करें। इसके बाद क्षमा प्रार्थना करते हुए बप्पा से अगले बरस आने की कामना करें।
गणपति विसर्जन मुहूर्त
गणपति विसर्जन के लिए मुहूर्त
प्रातः काल मुहूर्त-6:05 से 10:45 तक इसमें चर, लाभ और अमृत के चौघड़िया होंगे
अपराह्न मुहूर्त- 12:18 से 1:52 तक चौघड़िए में विसर्जन
शाम में मुहूर्त- 5:00 से 6:31 तक चर का चौघड़िया रहेग
रात्रि मुहूर्त - 9:26 से 10:52 तक लाभ के चौघड़िए में विसर्जन
रात्रि काल में शुभ अमृत और चर के चौघड़िया में विसर्जन 10 सितंबर 12:19 से 4:36 तक को विसर्जन कर सकते हैं
गणपति विसर्जन तिथि
अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति विसर्जन किया जाता है। पंचांग के अनुसार शुभ मुहूर्त और विधिपूर्वक किए गए विसर्जन से ही बप्पा का आशीर्वाद का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस साल शुक्रवार 9 सितंबर 2022 को अनंत चतुर्दशी का पर्व है। विसर्जन के लिए सबसे शुभ मुहूर्त प्रात: और अपराह्न के रहेंगे। लेकिन राहुकाल में भूलकर भी गणपति विसर्जन न करें।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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