अनंत चतुर्दशी पर कैसे करें भगवान गणेश का विसर्जन, यहां जानें इसकी तारीख और संपूर्ण विधि

आध्यात्म
Updated Aug 24, 2020 | 19:12 IST | Ritu Singh

Ganesh Visarjan Vidhi : गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की स्थापना की जाती है और 11वें दिन अनंत चतुर्दशी पर उनके विसर्जन का विधान है। यदि आप गणपतिजी के विसर्जन विधि से परिचित नहीं, तो यह खबर आप जरूर पढ़ें।

know the complete method of Ganpati Visarjan,जानिए गणपति विसर्जन की पूरी विधि
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मुख्य बातें
  • गणेश जी का विर्सजन श्रद्धा के अनुसार भी किया जाता है
  • गणपति विर्सजन के दिन उन्हें 56 प्रकार के भोग लगाएं
  • गणपति जी पूजा स्थान से उठाकर पटरे पर विराजित करें

गणपति बप्पा का विसर्जन 1 सितंबर को अनंत चतुर्दशी के दिन किया जाएगा। गणेश चतुर्थी की पूजा दस दिनों तक होती है और 11 वें दिन बप्पा का विसर्जन किया जाता है, लेकिन घरों में जब लोग गणपति को विराजित करते हैं तो अपनी श्रद्धानुसार उनका विसर्जन करते हैं। तीन, पांच, सात और दस दिन पर उनका विसर्जन किया जाता है। जिस तरह से भगवान गणपति की स्थापना गणेश चतुर्थी को विधि पूर्वक की जाती है, वैसे ही उनका विसर्जन भी विधि-विधान से करना चाहिए।

भगवान गणपति के विसर्जन यदि सही विधि से न किया जाए तो आपके पूजा का फल नहीं मिलता। इसलिए गणपति जी के विर्सजन में कोई गलती न हो इसलिए उनके विसर्जन से जुड़ी संपूर्ण विधि जरूर जान लें।

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इस विधि से करें भगवान गणपति का विसर्जन (Ganpati Visarjan Ki Vidhi)

गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की स्थापना करने के बाद उनका विसर्जन आप अपनी श्रद्धानुसार करते हैं। इसलिए गणपति जी के विसर्जन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी जरूर जान लें।

  1. भगवान गणपति का जिस दिन विर्सजन करना है उस दिन उनकी विधिवत पूजा-अर्चना करें और उन्हें 56 प्रकार का भोग लगाएं।
  2. इसके बाद स्वच्छ पीढ़ा या पटरा लेंकर उसे गंगाजल से पवित्र करें और घर की महिलाएं उस पटरे पर स्वास्तिक का चिन्ह बना लें। अब इस पाटरे पर एक लाल या पीला एक वस्त्र बिछाएं और उस पर अक्षत रखें।
  3. अब उस पटरे पर आप लाल पुष्प बिछाएं और पटरे पर बिछे वस्त्र के चारों कोनों पर सुपारी बांध दें।
  4. इसके बाद भगवान गणपति का जयकारा लगाते हुए पूजा स्थान से उठा कर उन्हें पटरे पर विराजित करें।
  5. भगवान को पटरे पर विराजित करने के बाद उनके साथ दूर्वा,फल, फूल, वस्त्र, दक्षिणा और 5 मोदक जरूर रखें।
  6. अब एक ऐसी लकड़ी लें जिसपर एक लाल या पीला कपड़ा बांधा जा सके। उस कपड़े में आप चावल, गेहूं और पंचमेवा और दक्षिणा डाल कर पोटली बना लें। ये पोटली भगवान के लिए होती है ताकि जब वे विसर्जित हों तो उन्हें किसी चीज की कमी न रहे।
  7. भगवान का विसर्जन आप जहां कर रहे हैं वहां पहले कपूर से उनकी आरती करें और भगवान का जयकारा लगाते हुए उन्हें अगले साल फिर आने की प्रार्थना करते हुए विसर्जित कर दें।
  8. विर्सजन के बाद पूजा या अन्य किसी प्रकार की जाने- अनजाने में हुई भूल की माफी मांगे।

ध्यान रखें, भगवान गणपति का जब विसर्जन करें तो उन्हें सम्मान पूवर्क प्रवाहित करें। उन्हें फेंके नहीं। आदर और सम्मान के साथ वस्त्र और सभी सामग्री के साथ धीर- धीरे विसर्जित करना चाहिए।

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