नई दिल्ली: गुजरात में सोमनाथ मंदिर की भव्यता और बढ़ रही है। दरअसल, यहां का ट्रस्ट मंदिर में 1400 से अधिक कलश पर सोना चढ़ाने का काम कर रहा है। सोमनाथ मंदिर के ट्रस्टी पीके लाहेरी ने कहा, 'हम सोमनाथ मंदिर के 1,400 से अधिक कलशों पर सोना चढ़ाने का काम कर रहे हैं। अब तक लगभग 500 लोगों ने इसके लिए दान किया है।'
2021 के अंत तक काम पूरा होने की उम्मीद है। लाहेरी ने कहा, 'हमने यहां उचित रोशनी की भी व्यवस्था की है ताकि रात में भी सोने की परत चढ़े कलश दिखाई दें। कोविड 19 महामारी के बीच पर्यटन प्रभावित हुआ है, लेकिन आमतौर पर दुनिया भर से 10,000 भक्त मंदिर में आते थे।'
माना जाता है कि यह मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग मंदिरों में से एक है और यह गुजरात का एक महत्वपूर्ण तीर्थ और पर्यटन स्थल है। इस लिंग को स्वयंभू कहा जाता है। दिलचस्प बात यह है कि द्वादश ज्योतिर्लिंग यात्रा सोमनाथ से शुरू होती है।
ऐसा है सोमनाथ मंदिर
पुरातन कहानियों के अनुसार मुस्लिम आक्रमणकारियों ने सोमनाथ मंदिर को कई बार नष्ट किया और इस क्षेत्र के स्वदेशी शासकों द्वारा इसे फिर से बनाया गया। मंदिर की वर्तमान संरचना को 5 वर्षों में बनाया गया था और इसे 1951 में पूरा किया गया था। सरदार वल्लभभाई पटेल ने मंदिर के पुनर्निर्माण का आदेश दिया था, जिसका उद्घाटन भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने किया था। मुख्य मंदिर की संरचना में गर्भगृह है जिसमें ज्योतिर्लिंग, सभा मंडपम और नृत्य मंडपम हैं। मुख्य शिखर या टॉवर 150 फीट की ऊंचाई तक है। शिखर के ऊपर कलश है जिसका वजन लगभग 10 टन है और ध्वाजदंड (ध्वज पोल) 27 फीट ऊंचाई और 1 फीट परिधि की है।
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