इस मंदिर में राहुल गांधी के दर्शन करने से मचा था बवाल, ऐसा है इसका इतिहास

आध्यात्म
Updated Dec 17, 2017 | 15:56 IST | Shivam Pandey

सोमनाथ मंदिर को सतयुग में राजा सोमराज ने सोने से, त्रेतायुग में रावण ने चांदी, द्वापरयुग में कृष्णा ने मंदिर और कलयुग में भीमदेव सोलंकी ने पत्थर से बनवाया था।

सोमनाथ मंदिर में स्थित ज्योतिर्लिंग  |  तस्वीर साभार: Instagram

नई दिल्ली.  पश्चिमी हिस्से गुजरात में स्थित सोमनाथ मंदिर इस चुनाव में अधिक चर्चा में था। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सौराष्ट्र के दौरे पर थे और इस दौरान उन्होंने सोमनाथ मंदिर में दर्शन भी किए,  दरअसल दर्शन के लिए राहुल गांधी ने अपने नाम की एंट्री उस रजिस्टर में की जो गैर-हिंदुओं के लिए था।

ऐसे में राहुल गांधी के सोमनाथ दर्शन से विवाद काफी गहरा गया था। बता दें कि भगवान शिव का मंदिर सोमनाथ अत्यंत प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर माना जाता है। इस मंदिर को भगवान शिव के 12 प्रतिद्ध ज्योतिर्लिंगों में सर्वप्रथम माना जाता है। 

17 बार हुआ है नष्ट
ऋग्वेद में उल्लेख किया गया है कि सोमनाथ मंदिर का निर्माण चंद्रदेव ने किया था। इतिहासकार रोमिला थापर के मुताबिक सोमनाथ मंदिर को वर्ष 1024 ईसवी में महमूद गजनबी ने तहस-नहस कर दिया था। मूर्ति को तोड़ने से लेकर यहां पर चढ़े सोने-चांदी तक के सभी आभूषणों को लूट लिया था। इतना ही नहीं, वह हीरे-जवाहरातों को भी लूटकर अपने देश गजनी लेकर चला गया था।महमूद गजनवी के बाद कई मुगल शासकों ने सोमनाथ को खंडित कर लूटपाट की। इसे 17 बार नष्ट किया गया और हर बार इसका पुनर्निर्माण किया गया।

somnath temple

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ये कथा है प्रचलित 
सोमनाथ मंदिर को सतयुग में राजा सोमराज ने सोने से, त्रेतायुग में रावण ने चांदी, द्वापरयुग में कृष्णा ने मंदिर  और कलियुग में भीमदेव सोलंकी ने पत्थर से बनवाया था। इस मंदिर के लिए कथा प्रचलित है कि चंद्र ने दक्षाप्रजापति राजा की 27 कन्याओं से विवाह किया था। चंद्र देव उनमें से रोहिणी नाम की पत्नी से सबसे अधिक प्रेम करते थे। दक्ष ने अपनी बाकि कन्याओं के साथ अन्याय होता देखा तो उन्होनें चंद्र को शाप दे दिया। जिसके बाद से चंद्र घटने और बढ़ने लगा। शाप से विचलित और दुखी चंद्र ने भगवान शिव की अराधना शुरु कर दी। भगवान शिव ने उनसे प्रसन्न होकर शाप को खत्म किया और उन्हें सोमनाथ नाम दिया। 

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श्रीकृष्ण ने यहां किया था देहत्याग
सोमनाथ के साथ एक और कथा प्रचलित है कि श्रीकृष्ण भालुका तीर्थ पर विश्राम कर रहे थे। तब ही शिकारी ने उनके पैर के तलुए में पद्मचिह्न को हिरण की आंख समझकर धोखे में तीर मारा था। तब ही कृष्ण ने देह त्यागकर यहीं से वैकुंठ गमन किया।  इस स्थान पर बड़ा ही सुन्दर कृष्ण मंदिर बना हुआ है। इसके अलावा ऐसी मान्यता है कि सोमनाथ मंदिर ही वही जगह है जहां श्रीकृष्ण ने देहत्याग किया था।

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