Guru purab 2021: जानें गुरु पर्व का इतिहास, महत्‍व और गुरुनानक जी का जीवन परिचय

गुरु नानक देव जी का जन्म कार्तिक मास की पूर्णिमा को हुआ था। नानक साहब के जन्मदिवस को प्रकाश पर्व या गुरु पुरब के रूप में मनाया जाता है।

Guru Nanak Ji
Guru Nanak Ji 
मुख्य बातें
  • गुरु नानक साहब का जन्म 1469 ईस्वी में लाहौर से 64 KM दूर तलवंडी नामक जिले में हुआ था।
  • नानक साहब के जन्मदिवस को गुरु पुरब के रूप में मनाया जाता है।
  • भगवान के प्रति भक्ति को देख लोगों ने दिया था दिव्य पुरुष की उपाधि।

Guru purab 2021 Guru Parv History and Significance: गुरु नानक देव जी सिख धर्म के पहले गुरु माने जाते हैं, उन्होंने सिख धर्म की स्थापना की। नानक साहब का जन्म 1469 ईस्वी में लाहौर से 64 किलोमीटर दूर तलवंडी नामक जिले में हुआ था। वर्तमान में यह जगह पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में ननकाना साहिब में मौजूद है। गुरु नानक देव एक मौलिक आध्यात्मिक विचारक थे, उन्होंने अपने विचारों को कविताई शैली में प्रतस्तुत किया है।

कहा जाता है कि ईश्वर ने उन्हें कुछ अलग करने के लिए प्रेरित किया था। नानक साहब में बचपन से ही आध्यात्मिक विवेक और विचारशील जैसी कई खूबियां मौजूद थी, उन्होंने सात साल की उम्र में हिंदी और संस्कृत भाषा में महारथ हासिल कर ली थी। नानक साहब को सिख धर्म के साथ इस्लाम, इसाई और यहूदी धर्म के बारे में भी काफी ज्ञान था। आज नानक साहब की 552वीं जयंती है। ऐसे में इस लेख के माध्यम से आइए जानते हैं कब है गुरु नानक जयंती इसका महत्व और कैसे मनाया जाता है यह पर्व।

गुरु नानक जयंती 2021

गुरु नानक देव जी का जन्म कार्तिक मास की पूर्णिमा को हुआ था। हिंदू पंचांग के अनुसार गुरु नानक जयंती आज यानि 19 नवंबर 2021, शुक्रवार को है। द्रिकपंचांग के अनुसार पूर्णिमा तिथि 18 नवंबर 2021, बृहस्पतिवार को दोपहर 12:00 बजे से शुरु होकर 19 नवंबर 2021, को दोपहर 2 बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगी।

नानक साहब की जयंती को दीपावली की तरह प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है, इसे प्रकाश पर्व और गुरु परब के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन दुनिया भर में सिख धर्म के लोग नानक साहब को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। 

गुरु पुरब का महत्व

गुरु नानक देव जी का जन्म कार्तिक मास की पूर्णिमा को हुआ था। नानक साहब के जन्मदिवस को गुरु पुरब के रूप में मनाया जाता है। गुरु नानक जी का मन बचपन से ही सांसारिक कामों में नहीं लगता था, वह अपना ज्यादातर समय प्रभु की भक्ति में बिताया करते थे। महज आठ साल की उम्र में उन्होंने स्कूल छोड़ दिया था। भगवान के प्रति उनके समर्पण को देख लोग उन्हें दिव्य पुरुष कहकर बुलाने लगे थे।

गुरु नानक जी की शिक्षा ने लोगों को सही राह दिखाई। आज भी उनकी शिक्षाए शत प्रतिशत सटीक साबित होती है। गुरु नानक जी कहते थे कि परम पिता परमेश्वर एक है, ना कोई हिंदू है और ना कोई मुसलमान सभी मनुष्य एक समान हैं। नानक जी कहा करते थे कि हमेशा एक ईश्वर की उपासना करना चाहिए, जिस व्यक्ति को खुद पर भरोसा नहीं है उसे ईश्वर पर भी भरोसा नहीं हो सकता। आज के समय में गुरु नानक जी की शिक्षा को अपनाने की जरूरत है।

ऐसे मनाया जाता है प्रकाश पर्व

गुरु नानक जयंती सिख धर्म का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है। गुरु पर्व से दो दिन पहले यानि 48 घंटे पहले गुरुद्वारों में गुरु ग्रंथ साहिब का अखंड पाठ प्रारंभ हो जाता है। तथा गुरु पुरब से एक दिन पहले यानी कार्तिक मास की चुतुर्दशी को नगर कीर्तन का आयोजन किया जाता है। इस दौरान गुरु ग्रंथ साहिब को पालकी में रखा जाता है और श्रद्धालु भजन कीर्तन करते हुए हाथ में निशान साहिब यानि ध्वज को लेकर भ्रमण करते हैं और सिख मार्शल आर्ट विशेषज्ञों द्वारा गतका प्रदर्शन किया जाता है। वहीं गुरु पर्व की शुरुआत प्रभात फेरी से होती है। इसके बाद कथा और कीर्तन होता है फिर भंडारे का आयोजन किया जाता है। लंगर के बाद कथा और कीर्तन का पाठ जारी रहता है।

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