Hanuman Ji Marriage story: इसलिए हनुमान जी ने की थी एक बार शादी, तेलंगाना के इस मंदिर होती है पत्नी समेत पूजा

Hanuman ji's marriage story : हनुमान जी ने भी एक मकसद के लिए एक बार शादी की थी, हालांकि उन्होंने अपने ब्रह्मचर को कायम रखा था। क्यों कि थी बजरंबली ने शादी और क्या था उनकी पत्नी का नाम? आइए आपको बताएं।

Hanuman ji's marriage story, हनुमान जी विवाह की कथा
Hanuman ji's marriage story, हनुमान जी विवाह की कथा 
मुख्य बातें
  • चार विद्याओं का ज्ञान केवल शादीशुदा को ही मिल सकता था
  • इन चार विद्या की प्राप्ति के लिए बजरंगी ने की थी शादी
  • हनुमान जी की पत्नी सुर्वचला का एक मात्र मंदिर तेलंगाना में है

बजरंबली के शादी करने के पीछे एक कथा है। हनुमान जी ने अपने ब्रह्मचर्य को बनाए रखते हुए इस शादी को किसी खास मकसद से किया था। तेलंगाना में भगवान हुनमान का एक मंदिर भी हैं जहां उनकी पूजा उनकी पत्नी के साथ ही की जाती है। सभी जानते हैं कि हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी हैं तो ऐसे में उन्होंने शादी आखिर की क्यों? शादी के पीछे क्या वजह रही होगी? असल में हनुमान जी ने ये शादी अपने ज्ञान की पूर्ति के लिए करनी पड़ी थी। तेलंगाना में बजरंगबली की पत्नी सुर्वचला का ये मंदिर बहुत ही विख्यात भी है।

यह पहला ऐसा मंदिर हैं, जहां हनुमान जी की पूजा उनकी पत्नी के साथ की जाती है और उनकी पत्नी की प्रतिमा उनके साथ ही स्थापित हैं। यहां मंदिर में दोनों दोनों की पति-पत्नी की तरह ही पूजा की जाती है। तेलंगाना के खम्मम जिले में ये मंदिर मौजूद है। उनकी पत्नी सुर्वचला का ये मंदिर लोगों के लिए आकर्षण और कौतुहल का भी केंद्र है। 

ज्येष्ठ शुद्ध दशमी को हनुमान जी का विवाह हुआ था, इसलिए इस दिन इस मंदिन में उत्सव मनाया जाता है। हालांकि बहुत से लोगों के लिए ये आश्चर्य से कम नहीं कि हनुमान जी ने शादी भी की थी। हनुमान जी को बाल ब्रह्मचारी माना जाता है। तो आए आज ये जानते हैं कि हनुमान जी की पत्नी कौन थीं और हनुमानजी ने शादी क्यों की थी।

4 विद्याओं की प्राप्ति के लिए करनी पड़ी थी बजरंबली को शादी

सूर्य देवता ही भगवान हनुमान के गुरु माने जाते हैं। सूर्य देव के पास 9 दिव्य विद्याएं थीं। इन सभी विद्याओं की प्राप्ति के लिए हनुमानजी ने सूर्य को गुरु बनाया था। सूर्य देव ने इन 9 में से 5 विद्याओं का ज्ञान तो हनुमानजी को दे दिया, लेकिन 4 विद्याएं वह उन्हें नहीं दे पा रहे थे क्योंकि ये चार विधाएं सिर्फ उन्हीं को प्राप्त हो सकती थीं जो विवाहित हों। लेकिन हनुमान जी को सभी 9 विधाएं सीखनी थी। इसके लिए सूर्य देव ने एक युक्ति निकाली। उन्होंने अपने तेज से एक कन्या का जन्म हुआ। यह कन्या सुवर्चला थीं। इन्हीं से हनुमान जी का विवाह हुआ।

सूर्य देव ने ब्रहमचर्य नहीं टूटने दिया

सूर्य देव ने शादी के समय ही यह हनुमान जी का साफ कर दिया था कि शादी के बाद भी तुम्हारा ब्रहमचर्य नष्ट नहीं होगा। सूर्य देव ने हनुमान जी को बताया था कि विवाह के बाद सुवर्चला पुन: तपस्या में लीन हो जाएगी। हिंदु मान्यता के अनुसार सुवर्चला किसी गर्भ से जन्म नहीं लीं थी। ऐसे में उससे शादी करने के बाद भी हनुमान जी के ब्रह्मचर्य में कोई बाधा नहीं पड़ी, और बजरंग बली हमेशा ब्रह्मचारी ही कहलाए। लेकिन उनका एक मंदिर ऐसा बना जहां उनकी पत्नी समेत आज भी पूजा होती है।

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