Navratri wishes in sanskrit: हैपी नवरात्र‍ि व‍िशेस इन संस्‍कृत,देवी के इन मंत्रों से होगा कल्याण

नवरात्र इस बार 13 अप्रैल से शुरू हो रहा है। नवरात्रि के मौके पर लोग अपनों को संस्कृति में भी शुभकामनाएं देते हैं।

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संस्कृत में नवरात्रि की शुभकामनाएं  
मुख्य बातें
  • नवरात्रि इस बार 13 अप्रैल से शुरू हो रहा है
  • नवरात्रि नौ दिनों का महापर्व होता है
  • इसमें नौ दिनों में 9 अलग अलग देवियों की पूजा होती है

नई दिल्ली: इस बार चैत्र माह का नवरात्र 13 अप्रैल से शुरू हो रहा है। शक्ति की देवी मां दुर्गा की उपासना का पर्व है चैत्र नवरात्र। नवरात्र नौ दिनों की पूजा होती है जिसमें नौ देवियों के अलग अलग रूप की पूजा होती है। नवरात्रि को नौ दिनों में कलश स्थापना के साथ इसकी शुरुआत हो जाती है ।  

इस बार भी नवरात्र के मौके पर कोरोना का कहर है। लिहाजा इस बार भी लोग मंदिरों में जाने की बजाय घर पर पूजा अर्चना करना पसंद करेंगे। इस मौके पर लोग एक दूसरे को संस्कृत में भी शुभकामनाएं देते हैं। आइए जानते हैं कि आप किस प्रकार देवभाषा संस्कृत में शुभकामनाएं दे सकते हैं। 

1. ॐ सर्वमंगल मांगल्ये
शिवे सर्वार्थ साधिके
शरण्ये त्रयम्बके गौरी
नारायणी नमोस्तुते !!
2. सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।

3. या देवी सर्वभूतेषु.. शक्तिरूपेण संस्थिता:
नमस्तस्यै.. नमस्तस्यै.. नमस्तस्यै नमो नम:
4. ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।

5. या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

 या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

 या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

 या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
 या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

* या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

 या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

6. | ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॐ ||

7. ॥ ॐ ह्रीं दुं दुर्गाय नमः ॥

8.  या देवी सर्वभूतेषु भक्ति रूपेण संस्थिता| नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ||

9. दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।। 3. नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।


 

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