Hartalika Teej 2022 Date, Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Samagri List: हिंदू पंचांग के अनुसार कल सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए हरतालिका तीज का व्रत रखेंगी। यह व्रत हर साल भद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है। ऐसी मान्यता है, कि इस व्रत को रखने के बाद ही माता पार्वती को पति के रूप में भगवान शिव प्राप्त हुए थे। कई जगहों पर कुंवारी कन्या भी इस व्रत को रखती है। ऐसा कहा जाता है, कि इस व्रत को करने से उन्हें मनचाहा वर प्राप्त होता है।
Hartalika Teej Date, Time, Puja Vidhi, Shubh Muhurat And All You Need To Know
हरतालिका तीज के दिन महिलाएं सोलह सिंगार करके पति की लंबी आयु के लिए माता पार्वती और भगवान शिव की उपासना पूरी श्रद्धा से करती हैं। बता दें यह व्रत भी हरियाली तीज हरियाली तीज की तरह ही निर्जला होता है। यदि आप भी इस बार इस व्रत को रखने की सोच रही हैं, तो आपको पूजा मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र और सामग्री लिस्ट के बारे में जरूर जान लेना चाहिए।
हरतालिका तीज के दिन व्रति ब्रह्म मुहूर्त में उठकर अपने नित्य क्रिया से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें। अब भगवान शिव और माता पार्वती का स्मरण करते हुए व्रत का संकल्प लें। इस दिन काली मिट्टी या रेत से भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति बनाएं। अब एक लकड़ी की चौकी में चारों कोने में केले के पत्ते को कलेवा की मदद कैसे बांध दें। अब भगवान शिव और माता पार्वती के साथ-साथ अन्य भगवान की भी मूर्तियां चौकी पर स्थापित करें। विधि-विधान से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें।
पूजा करने के बाद माता पार्वती को सोलह सिंगार चढ़ाएं और शिव शंकर को वस्त्र अर्पित करें। अब भगवान शिव और माता पार्वती को भोग लगाएं। भोग लगाने के बाद भगवान की प्रतिमा के सामने घी का दीपक जलाएं। अब पूरी श्रद्धा के साथ हरतालिका तीज की कथा पढ़ें। कथा पढ़ने के बाद माता पार्वती और शिव का मनन करते हुए श्रद्धा पूर्वक आरती करें। आरती करने के बाद भगवान से पूजा में होने वाली भूल चूक की माफी मांगें।
इस दिन रात भर जागरण करें। व्रत के अगले दिन स्नान करके माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा अर्चना करने के बाद उन्हें भोग लगाएं। पूजा करने के बाद ही अपने व्रत को खोलें।
नमस्त्यै शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभा।
प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे।
मनचाहे वर पाने के लिए करें ये मंत्र
हे गौरी शंकर अर्धांगिनी यथा त्वं शंकर प्रिया।
तथा माम कुरु कल्याणी कांतकांता सुदुर्लाभाम्।।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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