न्याय के देवता शनिदेव को खुश करने के लिए ऐसे करें शनिवार का व्रत, मिलेगी शनि दोष से मुक्ति 

शनिवार का व्रत रखना बहुत शुभ माना जाता है। जो लोग अपने ऊपर से साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रकोप हटाना चाहते हैं, उन्हें यह व्रत जरूर करना चाहिए। शनिवार का व्रत रखने से शनिदेव खुश होते हैं और अपना आशिर्वाद देते हैं।

Shanivar Vrat Katha
Shanivar Vrat Katha 
मुख्य बातें
  • व्रत रखने से दूर होती है साढ़ेसाती की समस्या
  • जरूरतमंदों को दान देने से शनिदेव होते हैं खुश
  • शनिवार का व्रत रखना बहुत शुभ माना जाता है।

Shanivar ka Vrat and Katha in hindi: हिंदू संस्कृति में व्रत का विशेष महत्व होता है। व्रत रखने से भगवान की असीम कृपा प्राप्त होती है और कई मुश्किलों से छुटकारा मिलता है। खुशहाल और समृद्ध जीवन के लिए भी लोग श्रद्धा-भाव से व्रत रखते हैं। अगर लंबे समय से जीवन में कष्ट और परेशानियां आ रहीं हैं तो व्रत रखने से इन परेशानियों से छुटकारा मिलता है।

जो भक्त शनिदेव को प्रसन्न करना चाहता हैं, साथ में साढ़ेसाती और ढैय्या की परेशानी से निजात पाना चाहते हैं वह शनिवार का व्रत जरूर करें। जो लोग अपने इच्छा अनुसार शनिवार का व्रत रखना चाहते हैं वह शुक्ल पक्ष के पहले शनिवार से व्रत रखना शुरु कर सकते हैं। यहां जानिए शनिवार का व्रत कैसे करें।

क्यों रखना चाहिए शनिवार का व्रत?

हिंदू धर्म शास्त्रों में शनिदेव को न्याय का देवता कहा गया है, शनिदेव हमेशा लोगों को कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं। अगर किसी इंसान के ऊपर शनि की साढ़ेसाती चल रही है तो उसे शनिवार का व्रत जरूर करना चाहिए। शनिवार का व्रत करने से विपत्तियां दूर होती हैं और शनिदेव की कुदृष्टि से मुक्ति मिलती है। शनिवार का व्रत रखने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं। 

कैसे करें शनिवार का व्रत?

जो भक्त शनिदेव को खुश करने के लिए व्रत रखना चाहते हैं वह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नदी या कुएं में स्नान करें। स्नान करने के बाद पीपल के पेड़ को जल दें। फिर शनिदेव की लोहे की प्रतिमा लें और पंचामृत के मदद से उन्हें स्नान कराएं। अब शनिदेव को स्थापित करने के लिए चौबीस दल का कमल बनाइए और शनिदेव को स्थापित कीजिए। मूर्ति स्थापित करने के बाद शनिदेव को काला कपड़ा, काला तिल और तेल अर्पित कीजिए। अब शनिदेव के दस नामों का उच्चारण कीजिए।

यह सब करने के बाद पीपल पेड़ के पास जाकर उसकी सात बार परिक्रमा कीजिए और सूत का धागा बांधिए। धागा बांधने के बाद शनिदेव के मंत्रों का उच्चारण कीजिए। कहा जाता है कि जो भक्त सात शनिवार का व्रत करता है उसे शनि के दोष से मुक्ति मिलती है। पूजा करने के बाद ब्राह्मणों का भोज करवाइए। शनिवार के दिन दान करना भी लाभदायक माना जाता है।

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