Importnace and Benefits Of Temple Darshan: हिंदू धर्म में पूजा-पाठ का विशेष महत्व होता है। हर घर पर प्रतिदिन सुबह-शाम देवी-देवताओं की पूजा-अराधना की जाती है। कई लोग सिर्फ घर पर ही पूजा-पाठ कर लेते हैं और मंदिर नहीं जाते। अगर मंदिर जाना भी हुआ तो किसी विशेष पर्व-त्योहार या व्रत में ही जाते हैं। या फिर व्यक्ति जब किसी जटिल समस्या में फंसा होता है तब मंदिर जाकर भगवान के सामने माथा टेकता है। लेकिन मंदिर जाने के कई फायदे हैं। इसलिए घर पर पूजा-पाठ के साथ ही मंदिर जाकर भगवान के दर्शन करना बेहद जरूरी होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार मंदिरों में भगवान की प्राण-प्रतिष्ठा के साथ पूजा की जाती है। इसलिए मंदिर में देवी-देवताओं वास करते हैं। इसलिए मंदिर जाकर भगवान के दर्शन करने के एक नहीं बल्कि कई फायदे हैं। जानते हैं क्यों जरूरी है मंदिर जाना ?
मंदिर में होता है देवी-देवताओं का वास
मंदिरों की मूर्तियों में भगवान साक्षात वास करते हैं। क्योंकि पुरोहित द्वारा मंदिरों में देवी-देवताओं की प्राण-प्रतिष्ठा से पूजा की जाती है, जोकि घर पर करना संभव नहीं हो पाता। मंदिर में प्रार्थना, ध्यान, कीर्तन, यज्ञ, पूजा, आरती, शंख, घंटियां आदि जैसी चीजें होती हैं। जिससे मंदिर का वातावरण धार्मिक हो जाता है। इसलिए मंदिर जाने से मन को शांति मिलती है और व्यक्ति की परेशानी कम हो जाती है।
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मंदिर में होता है सकारात्मक वातावरण
मंदिर का निर्माण वास्तु के अनुसार किया जाता है। मंदिर में धूप-दीप जलाए जाते हैं और शंख व घंटियों की ध्वनि भी आती है, जिससे वातावरण शुद्ध हो जाता है और मन-मस्तिष्क को शांति मिलती है। इससे मंदिर के वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है और नकारात्मकता दूर होती है। यही कारण है कि मंदिर जाने वाला व्यक्ति स्वयं भी सकारात्मकता का संचार महसूस करने लगता है।
मंदिर जाने के हैं कुछ जरूरी नियम
मंदिर जाकर भगवान की पूजा करना शुभ होता है। लेकिन मंदिर जाने के कुछ नियम भी होते हैं, जिसका पालन हर किसी को करना चाहिए। मंदिर के भीतर कभी भी काले और नीले रंग का कपड़ा पहनकर नहीं जाना चाहिए। क्योंकि शुभ कार्यों के लिए ये रंग अमंगल माने जाते हैं। बिना स्नान किए मंदिर नहीं जाना चाहिए। वहीं महिलाओं को माहवारी (पीरियड) के दौरान मंदिर में प्रवेश नहीं करना चाहिए। स्त्री हो या पुरुष मंदिर में प्रवेश करते समय सिर जरूर ढ़कना चाहिए। पुरुष रूमाल ,गमछा इत्यादि से सिर ढक सकते हैं तो वहीं महिला स्टॉल, चुन्नी या पल्लू से सिर को ढ़क ले।
(डिस्क्लेमर: यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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