नई दिल्लीः हिंदू धर्म में सभी दिन किसी ना किसी भगवान या देवता को समर्पित हैं। हर दिन पूजन करने के अलग-अलग तरीके हैं। ऐसे ही शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित है। इस दिन आमतौर पर तो शनि देवता की पूजा होती है लेकिन इनके साथ-साथ हनुमान जी की पूजा करने की भी मान्यता है। आइए जानते हैं इसका महत्व व इसके पीछे की कहानी।
शनिवार के दिन बजरंग बली की पूजा
शनिवार को लोग शनिदेव की पूजा करने के लिए उनके विभिन्न मंदिरों में जाते हैं। सभी की कामना होती है कि शनिदेव की कृपा उन पर बने रहे और अगर साढ़े साती चल रही हो या कोई इंसान कष्ट से गुजर रहा हो तो शनिदेव उनका भला करें। लेकिन इसके अलावा शनिवार के दिन हनुमान मंदिरों में भी भक्तों की अच्छी खासी भीड़ जुटती है।
क्या है इसके पीछे की कहानी?
दरअसल, मान्यताओं के मुताबिक जब हनुमान जी सीता माता को ढूंढने लंका पहुंचे तो वहां एक कारागार में उन्होंने शनिदेव को लटका देखा। फिर हनुमान जी ने शनिदेव से उनकी इस हालत की वजह पूछी तो उन्होंने बताया कि रावण ने अपने योग बल के दम शनिदेव के साथ-साथ कई अन्य ग्रहों को कैद कर रखा था। इसको सुनने के बाद हनुमान जी ने शनिदेव व ग्रहों को कैद से मुक्त कर दिया। इसके बाद शनिदेव ने हनुमान जी को वरदान दिया था कि जो भी भक्त हनुमान जी की प्रार्थना करेगा, उसको शनिदेव किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं देंगे।
करें हनुमान चालीसा का पाठ
राम भक्त हनुमान की पूजा करना हमेशा से ही अच्छा माना गया है और हनुमान चालीसा इसका सबसे अच्छा तरीका है। अगर आप शनिवार को खासतौर पर सुबह हनुमान जी की पूजा करते हैं, उन्हें गुड़ का भोग लगाते हैं और हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं तो हनुमान जी के साथ-साथ शनिदेव भी आप पर कृपा करते हैं। रोजाना हनुमान चालीसा पढ़ने से इंसान भयमुक्त होता है और रोगों व संकट से भी उसे मुक्ति मिलती है। हनुमान चालीसा की ये कुछ पंक्तियां इस बारे में काफी कुछ कहती हैं-
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।।
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा।।
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