Janmashtami: वृंदावन के निधिवन में आज भी रात को राधा संग रास रचाने आते हैं कृष्‍ण, जिसने देखा हो गया पागल

आध्यात्म
Updated Aug 22, 2019 | 22:10 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

Janmashtami Nidhivan: मान्यता के अनुसार निधिवन में भगवान कृष्ण का एक मंदिर है जिसमें वे राधा के साथ विश्राम करने के लिए आते हैं। यह मंदिर वृंदावन में स्थित है..

Janmashtami Nidhivan
Janmashtami Nidhivan   |  तस्वीर साभार: Instagram

द्वापर युग में लोगों को उद्धार करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने धरती पर जन्म लिया था। उन्होंने व्रज में गोपियों के साथ रासलीला रचायी, राधा से प्रेम किया, कई राक्षसों का वध किया और आवश्यकता पड़ने पर विभिन्न रुपों में सृष्टि का उद्धार करते रहे। 

अलौकिक रूप से ही सही लेकिन धरती पर आज भी भगवान कृष्ण के होने की अनुभूति होती है। कई युगों बाद भी कृष्ण की बाल लीलाएं आज भी जीवित हैं और प्रासंगिक भी हैं। ब्रजभूमि की गलियों में आज भी कृष्ण की लीलाएं समाहित हैं और आप इनके दर्शन भी कर सकते हैं।

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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यहां हुआ था कृष्ण का जन्म
मथुरा में कान्हा जन्मभूमि नाम का एक मंदिर है। लेकिन इस मंदिर से अधिक इसका चबूतरा बहुत प्रसिद्ध है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार द्वापर युग में इसी चबूतरे के ऊपर कंस का कारागार था जिसमें उसने देवकी और वासुदेव को बंद कर रखा था। इसी चबूतरे पर स्थित जेल में कृष्ण का जन्म हुआ था। इसलिए इसका धार्मिक महत्व बहुत अधिक है।

कृष्ण को यहां छोड़ आए थे वासुदेव
कृष्ण के जन्म लेने के बाद कंस के डर से वासुदेव कृष्ण को टोकरी में रखकर गोकुल में नंद बाबा के घर छोड़ आए थे और उसी टोकरी में उनकी पुत्री को लेकर मथुरा आए थे। व्रजभूमि स्थित नंदरायजी के महल में आज भी उनका मंदिर है। इस मंदिर में कृष्ण की किलकारी लेती हुई प्रतिमा स्थापित है।

इस पहाड़ी पर है कृष्ण की थाली और कटोरी 
कहा जाता है कि द्वापर युग में कृष्ण ने व्योमासुर नामक राक्षस का वध किया था और उसके बाद ग्वाल बालों के साथ बैठकर काम्यवन नामक स्थान पर भोजन किया था। काम्यवन नामक यह जगह मथुरा से लगभग 50 किमी दूर है जिसे कामां के नाम से भी जाना जाता है। कामां में पहाड़ी के ऊपर थाली और कटोरी की आकृति बनी हुई है जिसे कन्हैया की थाली कहा जाता है।

राधा और कृष्ण का यहां हुआ था विवाह
ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार ब्रह्मा ने भगवान कृष्ण और राधा का विवाह भांडीर वन में कराया था। यह वन मथुरा से 20 किमी की दूरी पर स्थित है। कहा जाता है कि भांडीर वन में ही वंशीवट है जहां कृष्ण राधा को मुरली बजाकर सुनाया करते थे। आज भी यहां मुरली की आवाज का आभाष होता है।

यहां विश्राम करते हैं कृष्ण
मान्यता के अनुसार निधिवन में भगवान कृष्ण का एक मंदिर है जिसमें वे राधा के साथ विश्राम करने के लिए आते हैं। यह मंदिर वृंदावन में स्थित है। इस मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण के लिए रात में एक दातून रखी जाती है और बिस्तर बिछाया जाता है। सुबह होने पर दातून गीली और बिस्तर अस्त व्यस्त दिखायी देता है।

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