Jitiya Vrat Aarti & Mantra: जीवित्पुत्रिका व्रत आज यानी 29 सितंबर को मनाई जा रही है। सनातन धर्म में तीज का व्रत पति के लिए और जीवित्पुत्रिका व्रत संतान के दीर्घायु होने के लिए किया जाता है। सुहागिन महिलाएं इस दिन निर्जला व्रत रखकर जीमूतवाहन की पूजा करती हैं। ऐसी पौराणिक मान्यता है जीमूतवाहन की पूजा अर्चना श्रद्धा से करने से संतान की दीर्घायु होती है।
शास्त्रों के अनुसार यह पर्व पांडवों के प्रण पौत्र परीक्षित की मृत्यु के बाद पुनर्जीवित होने से जुड़ी हुई है। इस दिन महिलाएं सूर्योदय होने के बाद ही जीतवाहन की पूजा कर पारण करती हैं। यह आरती और मंत्र जीमूतवाहन को बहुत प्रिय है। यदि आप उस दिन जीमूतवाहन की इस आरती और मंत्रों से पूजा करें, तो ऐसी मान्यता है कि इससे जीमूतवाहन भगवान संतान की आयु दीर्घायु कर देते है।
जितिया व्रत का पूजन मंत्र
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा बसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि।।
जितिया व्रत की आरती
ओम जय कश्यप नन्दन, प्रभु जय अदिति नन्दन।
त्रिभुवन तिमिर निकंदन, भक्त हृदय चन्दन॥
ओम जय कश्यप..
सप्त अश्वरथ राजित, एक चक्रधारी।
दु:खहारी, सुखकारी, मानस मलहारी॥
ओम जय कश्यप..
सुर मुनि भूसुर वन्दित, विमल विभवशाली।
अघ-दल-दलन दिवाकर, दिव्य किरण माली॥
ओम जय कश्यप..
सकल सुकर्म प्रसविता, सविता शुभकारी।
विश्व विलोचन मोचन, भव-बंधन भारी॥
ओम जय कश्यप..
कमल समूह विकासक, नाशक त्रय तापा।
सेवत सहज हरत अति, मनसिज संतापा॥
ओम जय कश्यप..
नेत्र व्याधि हर सुरवर, भू-पीड़ा हारी।
वृष्टि विमोचन संतत, परहित व्रतधारी॥
ओम जय कश्यप..
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