Jivitputrika Vrat Paran kaise karein : कब करें जीवित्पुत्रिका व्रत का पारण, क्‍या खा कर खोलें व्रत

Jivitputrika vart paran time: जीवित्पुत्रिका का व्रत संतान की लंबी उम्र और सुरक्षा के लिए महिलाएं रखती हैं। निर्जला व्रत की पूरी पूजा विधि क्या है, आइए आपको बताएं।

Jivitputrika vart puja vidhi,जीवित्पुत्रिका व्रत पूजा विधि
Jivitputrika vart puja vidhi,जीवित्पुत्रिका व्रत पूजा विधि 
मुख्य बातें
  • ज्युतिया अष्टमी के दिन होता है, लेकिन सप्तमी से इसके पूजन का विधान शुरू हो जाता है
  • ज्युतिया की व्रत कथा का वाचन जरूरी है
  • अगले दिन  सूर्य को अर्घ्‍य देने के बाद व्रत का पारण करें

जीवित्पुत्रिका व्रत को ज्युतिया या जितिया के नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत बिहार, झारखंड और यूपी में सबसे ज्यादा प्रचलित है। ज्युतिया व्रत की पूजा एक दिन पहले सू शुरू होती है और तीसरे दिन खत्म होती है। छठ पूजा की तरह इसमें भी नहाय-खाय के साथ व्रत का विधान शुरू होता है। पहले दिन नहाय खाय करने के साथ ही महिलाएं पूजा करती है और अगले दिन खुर ज्युतिया को मुख्य व्रत का पालन करती हैं। यह पूरी तरह से निर्जला व्रत होता है और व्रत के अगले दिन पारण किया जाता है। तो आइए ज्युतिया व्रत पूजा की संपर्ण विधि को विस्तार से जानें।  

 इस विधि से करें जीवित्पुत्रिका व्रत पूजा

ज्युतिया का मुख्य व्रत एक दिन पहले से शुरू हो जाता है। ज्युतिया अष्टमी के दिन होता है, लेकिन सप्तमी से इसके पूजन का विधान शुरू हो जाता है। अष्टमी को खुर ज्युतिया भी कहा जाता है। इस दिन सुबह स्‍नान के बाद सर्वप्रथम निर्जला व्रत का संकल्प लें और उसके बाद व्रत पूजन का कार्य शुरू करें। अष्टमी तिथि को प्रदोषकाल में जीमूतवाहन की पूजा करनी चाहिए। पूजा करने से पहले पूजा स्थल को अच्छे से साफ कर लें। इसके बाद गाय के गोबर से पूजा स्थल को लीप लें। यदि गोबर से लिपने की व्यवस्था न हो तो एक पीढ़े को गोबर से लीप लें और इसी पर पूजा की प्रक्रिया निभाएं।

इसे बाद यहां मिट्टी से एक छोटा सा तालाब बना लें और इसके निकट ही एक पाकड़ की डाल खड़ी कर दें। अब जीमूतवाहन की कुशा से निर्मित प्रतिमा को जल या मिट्टी के पात्र में स्थापित कर दें। इसके बाद उनके समक्ष धूप-दीप, अक्षत, पुष्प, फल आदि अर्पित करें। अब मिट्टी और गाय के गोबर से सियारिन और चील की प्रतिमा बना लें। इसके बाद प्रतिमा पर लाल सिंदूर का टीका लगा दें। इसके बाद हाथ जोड़ कर इनके समक्ष अपनी संतान के सुख और जीवन रक्षा के लिए प्रार्थना करें। पूजा पूरी होने पर वहीं बैठ कर ज्युतिया की व्रत कथा का वाचन करें।

कैसे करें ज‍ित‍िया व्रत का पारण 

अगले दिन  सूर्य को अर्घ्‍य देने के बाद व्रत का पारण करें। पारण के लिए चावल, मरुवा की रोटी और नोनी का साग ही खाने का विधान है। इस साल जीवित्पुत्रिका व्रत का पारण समय 11 स‍ितंबर को सुबह 8 बजे है। 

संतान की रक्षा का सबसे बड़ा व्रत ज्युतिया। ज्युतिया व्रत पूजा के दिन घर में भी सात्विक भोजन ही बनाएं।

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