Kaal Sarp Yog: ज्योतिष में तमाम शुभ और अशुभ योगों के आधार पर व्यक्ति के जीवन का अध्ययन किया जाता है। इसी क्रम ज्योतिष शास्त्र में एक अशुभ और विनाशक योग भी शामिल किया गया है। इसे कालसर्प योग कहते हैं। इस योग के बारे में अभी भ्रम की स्थिति बनी हुई है। कुछ लोग इसे सही मानते हैं और कुछ गलत। इसे गलत मानने वाले लोग इस योग को विनाश और बर्बादी से जोड़कर देखते हैं। अगर इसका सही उपचार न किया जाए तो व्यक्ति जीवन में असफलता के अलावा कुछ नहीं पाता है।
क्या है कालसर्प योग?
ऐसा कहते हैं कि जब सारे ग्रह राहु और केतु के मध्य आ जाते हैं, तब कालसर्प योग बनता है। अनंत, कुलिक, वासुकी, शंखचूण, तक्षक, पद्म और कर्कोटक जैसे कई कालसर्प योग होते हैं। यह करियर और धन की समस्या पैदा करता है और अपयश, विवाद जैसी दिक्कतें बढ़ाता है। यह योग इतना खतरनाक है कि इसके होने पर कुंडली का कोई भी शुभ योग कार्य नहीं करता है।
ज्योतिष के मुख्य विद्वानों में किसी ने भी 'कालसर्प योग' का उल्लेख नहीं किया है। हालांकि सर्प योग और सर्प की बात कही गई है। कालसर्प योग या सर्प योग कुंडली के रहस्य बताता है। इसमें राहु का प्रभाव महत्वपूर्ण हो सकता है। राहु-केतु का प्रभाव छाया की तरह होता है। इसीलिए इस योग से छाया जैसे परिणाम उत्पन्न होते हैं। हालांकि ज्योतिषविद कहते हैं कि यह योग महान और विशेष भी बनाता है, इसलिए इससे हर बार डरना आवश्यक नहीं है। ज्योतिषी कहते हैं कि इस विषय में अगर कोई उपाय करना है तो राहु का करें, कालसर्प योग का नहीं।
कालसर्प योग से बचने के उपाय
ज्योतिषविदों के अनुसार, कालसर्प योग कुछ नहीं होता है। अगर कुछ सर्प या इस प्रकार का है भी तो वो आपके पूर्वजन्म के संस्कारों को बताता है और राहु से संबंध रखता है। राहु की अलग-अलग स्थितियां जीवन में उतार चढ़ाव पैदा करती हैं। इसलिए इसके लिए राहु के उपाय होने चाहिए।
कालसर्प योग से कभी नहीं डरना चाहिए। यह आपको खूब लाभ भी दे सकता है। इसको लेकर मन में कोई भय या दुविधा न रखें। केवल अपने संस्कारों को शुद्ध रखें। कालसर्प योग के नाम पर बेवजह की पूजा या उपाय को प्राथमिकता ना दें। भगवान शिव की उपासना कर इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है।
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