Kajari Teej Vrat katha 2021 : कजरी तीज का व्रत भाद्र पद मास की कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है। ये तीज सुहागिन महिलाएं रखती हैं और चांद को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण किया जाता है। कजली तीज, बूढ़ी तीज या सतूड़ी तीज भी कजरी तीज के ही नाम हैं। 2021 में कजरी तीज का व्रत 25 अगस्त को रखा जाएगा। पंचांग के अनुसार तृतीया तिथि 24 अगस्त को सायकाल 04 बजकर 05 मिनट से शुरू हो कर 25 अगस्त को शाम 04 बजकर 18 मिनट तक रहेगी। इस व्रत के पूर्ण लाभ के लिए कथा का पाठ भी किया जाता है। मान्यता है कि इस कथा के पाठ से तीज माता का आशीर्वाद मिलता है।
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कजली तीज की पौराणिक व्रत कथा के अनुसार एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था। भाद्रपद महीने की कजली तीज आई। ब्राह्मणी ने तीज माता का व्रत रखा। ब्राह्मण से कहा आज मेरा तीज माता का व्रत है। कही से चने का सातु लेकर आओ। ब्राह्मण बोला, सातु कहां से लाऊं। तो ब्राह्मणी ने कहा कि चाहे चोरी करो चाहे डाका डालो। लेकिन मेरे लिए सातु लेकर आओ।
रात का समय था। ब्राह्मण घर से निकला और साहूकार की दुकान में घुस गया। उसने वहां पर चने की दाल, घी, शक्कर लेकर सवा किलो तोलकर सातु बना लिया और जाने लगा। आवाज सुनकर दुकान के नौकर जाग गए और चोर-चोर चिल्लाने लगे।
साहूकार आया और ब्राह्मण को पकड़ लिया। ब्राह्मण बोला मैं चोर नहीं हूं। मैं एक गरीब ब्राह्मण हूं। मेरी पत्नी का आज तीज माता का व्रत है इसलिए मैं सिर्फ यह सवा किलो का सातु बना कर ले जा रहा था। साहूकार ने उसकी तलाशी ली। उसके पास सातु के अलावा कुछ नहीं मिला।
साहूकार ने कहा कि आज से तुम्हारी पत्नी को मैं अपनी धर्म बहन मानूंगा। उसने ब्राह्मण को सातु, गहने, रुपए, मेहंदी, लच्छा और बहुत सारा धन देकर ठाठ से विदा किया। सबने मिलकर कजली माता की पूजा की। जिस तरह ब्राह्मण के दिन फिरे वैसे सबके दिन फिरे... कजली माता की कृपा सब पर हो।
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