Kalank Chaturthi 2022: जानिए कब है कलंक चतुर्थी, इस दिन न देखें चंद्रमा वरना झेलना पड़ेगा श्राप

Kalank Chaturthi 2022 Puja Vidhi: भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को कलंक चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार कलंक चतुर्थी 30 अगस्त को पड़ रही है। इस दिन चंद्रमा देखने की मनाही होती है।

Ganesh Chaturthi
Kalank Chaturthi Puja vidhi  |  तस्वीर साभार: Instagram
मुख्य बातें
  • भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी व कलंक चतुर्थी कहा जाता है
  • हिंदू पंचांग के अनुसार कलंक चतुर्थी 30 अगस्त को पड़ रही है
  • ऐसी मान्यता है कि इस दिन लोगों को भूल से भी चंद्र दर्शन नहीं करना चाहिए

Ganesh Chaturthi Shubh Muhurat: भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को चंद्रमा का देखा अशुभ माना जाता है। इस चतुर्थी तिथि को कलंक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी व कलंक चतुर्थी कहा जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार कलंक चतुर्थी 30 अगस्त को पड़ रही है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन लोगों को भूल से भी चंद्र दर्शन नहीं करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि यदि गणेश चतुर्थी को चांद का दर्शन कर लिया तो व्यक्ति पर झूठे आरोप व कलंक लगता है। पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने गणेश चतुर्थी को चंद्र दर्शन कर लिए थे तो उन पर चोरी करने का आरोप आज तक लगता आया है। आइए जानते हैं इस दिन चंद्रमा को क्यों नहीं देखा जाता है। क्या है इसके पीछे पौराणिक कथा...

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ये है पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार माता पार्वती के आदेशानुसार भगवान गणेश घर के मुख्य द्वार पर पहरा दे रहे थे। तभी भगवान शिव वहां आए और अंदर जाने लगे। इस पर गणेश भगवान को अंदर जाने से रोक दिया। तब महादेव ने गुस्से में आकर भगवान गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया। इतने पर देवी माता पार्वती जी वहां आ गईं। उन्होंने भगवान शिव जी से कहा कि यह आपने क्या अनर्थ कर दिया, ये तो पुत्र गणेश हैं। आप इन्हें पुनः जीवित करें। तब भगवान शिव ने गणेश जी को गजानन मुख देकर नया जीवन दिया।

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इस पर सभी देवता गजानन को आशीर्वाद दे रहे थे, परंतु चंद्र देव इन्हें देखकर मुस्करा रहे थे। चंद्रदेव का यह उपहास गणेश जी को अच्छा न लगा और वे क्रोध में आकर चंद्रदेव को हमेशा के लिए काले होने का शाप दे दिया। श्राप के प्रभाव से चंद्र देव की सुंदरता खत्म हो गई और वे काले हो गए। तब चंद्र देव को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने गणेश जी से क्षमा मांगी।

गणपति ने कहा कि अब आप पूरे माह में केवल एक बार अपनी पूर्ण कलाओं में आ सकेंगे। यही कारण है कि पूर्णिमा के दिन ही चंद्रमा अपनी समस्त कलाओं से युक्त होते हैं।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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