Kalank Chaturthi 2022 Moonrise Time: Kalank Chaturthi par chand nikalne ka samay - आज गणेश चतुर्थी पर हर कोई बप्पा की भक्ति में लीन है। हर पर्व हर वर्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर मनाया जाता है। कहा जाता है कि भाद्रपद के महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन चंद्रमा दर्शन वर्जित है। इसे कलंक चर्तुथी के नाम से भी जाना जता है। आज हम आपको बताएंगे कि आखिर क्यों आज चंद्रमा को देखना ठीक नहीं है।
30 अगस्त, 2022 मंगलवार
चन्द्रोदय का समय: 20:28:59
चन्द्रास्त का समय: 20:38:59
31 अगस्त, 2022 बुधवार
गणेश पूजन के लिए मध्याह्न मुहूर्त : 11:04:43 से 13:37:56 तक
अवधि : 2 घंटे 33 मिनट
चन्द्र दर्शन नहीं करने का समय : 30 अगस्त, 15:35:21 से 20:38:59 तक
चन्द्र दर्शन नहीं करने का समय : 31, अगस्त 09:26:59 से 21:10:00 तक
पौराणिक कथाओं की मानें तो भगवान गणेश जी द्वारा चंद्रमा को श्राप दिया गया था। कथा है कि एक बार चंद्रमा ने भगवान गणेश को देखकर उनके फूले हुए पेट और गजमुख रूप का मजाक उड़ाया। इस पर गणेश जी को गुस्सा आया और उन्होंने चंद्रमा को श्राप दे दिया। भगवान गणेश में चंद्रमा को कहा कि अपने रूप पर इतना अहंकार ना करो, तुम्हारा क्षय हो जाएगा। तुम्हें कोई देखेगा भी नहीं, अगर श्राप के बावजूद कोई देखता है तो कलंक लगेगा। यही वजह है कि इस दिन चंद्रमा देखना वर्जित है। इस चतुर्थी को कलंक चतुर्थी भी कहा जाता है।
कथाओं में कहा जाता है कि श्राप के बाद चंद्रमा का आकार घटने लगा। इसके बाद चंद्रमा ने भगवान शिवजी की पूजा शुरू की। तब शिवजी ने चंद्रमा को एक बार फिर गणेश जी की ही शरण में जाने को कहा। अंत में गणेश जी ने कहा कि जो श्राप दिया है उसका असर कभी खत्म नहीं होगा लेकिन प्रभाव को घटाया जा सकता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान गणेश के श्राप के चलते ही चंद्रमा 15 दिनों की अवधि के लिए घटने लगता है और 15 दिनों के लिए उसका आकार बढ़ने लगता है।
तिथियों में अंतर: पंचांग के अनुसार इस साल चतुर्थी तिथि 30 अगस्त को दोपहर में 3:35 से शुरू है और 31 अगस्त को चतुर्थी तिथि 3:25 पर समाप्त हो जाएगी इसीलिए गणेश स्थापना के लिए 31 अगस्त का समय शुभ माना जा रहा है और चतुर्थी के लिए 30 अगस्त का समय उपयुक्त रहेगा। 31 अगस्त की रात को चतुर्थी तिथि नहीं मान्य होगी इसलिए 30 अगस्त को ही चौठ चंद्र और कलंक चतुर्थी का पर्व मनाया जाएगा।
इस व्रत में महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत रखती हैं। वहीं, रात के समय चंद्रमा की पूजा करती हैं। चंद्रोदय के समय व्रत करने वाले व्यक्ति और उनके परिवार के सभी लोग अपने हाथों में फल, दही, और बनाए गए पकवान को लेकर चंद्रमा की पूजा करते हैं। खीर चौठ चंद्र का मुख्य प्रसाद माना गया है। मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से परिवार के लोग निरोगी रहते हैं, उन्हें मान प्रतिष्ठा प्राप्त होती है, और साथ ही उन पर कभी भी आरोप नहीं लगता है।
मान लीजिए किसी व्यक्ति ने कलंक चतुर्थी को अनजाने में चंद्रमा के दर्शन कर लिए तो क्या होगा। मान्यता है कि दोष से बचने के लिए आपको चंद्र मंत्र का जाप करना जरूरी हो जाएगा।
मंत्र- सिंहः प्रसेन मण्वधीत्सिंहो जाम्बवता हतः।
सुकुमार मा रोदीस्तव ह्मेषः स्यमन्तकः।।
आप कृष्ण-स्यमंतक की कथा पढ़कर या सुनकर भी इस दोष से मुक्ति पा सकते हैं। वहीं, मौली में 21 दूर्वा बांधकर उससे एक मुकुट बनाएं और इस मुकुट को गणपति मंदिर में जाकर भगवान गणेश के सिर पर सजाने से दोष मुक्त हो सकेंगे।
गणेश भगवान की मूर्ति पर 21 केसर लड्डुओं का भोग लगाना जरूरी होता है। इसके बाद इनमें से पांच लड्डू भगवान गणेश के पास रख कर बाकी ब्राह्मणों में बांट दें।
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