इस वर्ष चैत्र नवरात्रि 13 अप्रैल से प्रारंभ हुई थी। पंचांग के अनुसार, चैत्र नवरात्रि 22 अप्रैल को समाप्त होगी। नवरात्रि व्रत पारण करने से पहले लोग कन्या पूजन करते हैं तथा कन्याओं को भोजन करवाकर उनका आशीर्वाद लेते हैं। कन्या पूजन के लिए लोग महाष्टमी और महा नवमी तिथि अनुकूल समझते हैं। महाष्टमी तिथि पर मां महागौरी की पूजा करने के बाद लोग घर में हवन करवाते हैं। वहीं कुछ लोग महानवमी पर मां सिद्धिदात्री की पूजा करने के बाद हवन करवाते हैं। हवन करवाने के बाद कन्या पूजन किया जाता है फिर व्रत का पारण करते हैं। चैत्र मास की महा नवमी पर नवरात्रि समाप्त होती है।
अगर आप भी कन्या पूजन करके व्रत पारण करना चाहते हैं तो यहां जानें कन्या पूजन की विधि।
कन्या पूजन की विधि
अगर आप महाष्टमी पर कन्या पूजन कर रहे हैं तो मां महागौरी की पूजा करने के बाद कन्या पूजन करें अन्यथा महानवमी पर मां सिद्धिदात्री की पूजा करने के बाद कन्या पूजन करें। कन्या पूजन के लिए नौ कन्याओं और एक लंगूर को बिठा लीजिए। नौ कन्याएं मां दुर्गा के नौ स्वरूप को दर्शाती हैं वहीं एक लंगूर भैरव को दर्शाता है। अगर किसी कारणवश नौ कन्याएं बिठाने में आप असमर्थ हैं तो कुछ ही कन्याओं में भी यह पूजन किया जा सकता है। जितनी कन्याएं बची हैं उनका भोजन आप गौमाता को खिला सकते हैं।
कन्याओं और लंगूर का पैर धोकर उन्हें आसन पर बिठा दीजिए। अब सभी कन्याओं और लंगूर को तिलक लगाइए और आरती कीजिए। मंदिर में मां को भोग लगाने के बाद कन्याओं और लंगूर को भोजन करवाइए। भोजन के पश्चात उन्हें फल और दक्षिणा दीजिए। अंत में सभी कन्याओं और भैरव का पैर छूकर आशीर्वाद लीजिए और सम्मान पूर्वक सभी को विदा कीजिए।
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