शनिदेव की पूजा में इस बात का रखें ध्यान, वरना हो सकता है नुकसान

आध्यात्म
Updated Jun 20, 2019 | 15:56 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

शनिदेव अगर नाराज हो जाएं तो इंसान की जिंदगी नरक समान हो जाती है। कुंडली में ढाई या साढ़े सात साल तक शनि का प्रकोप होता है।

lord shani puja
lord shani puja  |  तस्वीर साभार: Instagram
मुख्य बातें
  • भगवान शनि बेहद ही गुस्सैल प्रकृति के माने जाते हैं
  • अगर भूल से भी उनकी पूजा में भूल हो जाती है तो वह उसे माफ नहीं कर पाते
  • सूर्य उदय के पहले और सूर्यास्त के बाद ही शनिदेव की पूजा की जानी चाहिए।

Shani Dev puja : शनिदेव के बारे में कहा जाता है कि अगर उनकी दृष्टी सीधी किसी पर पड़ जाए तो वह भस्म हो जाता है। यही कारण है कि उनकी पूजा करते हुए बहुत सी सावधानी रखनी चाहिए। शनिदेव की नाराजगी और प्रसन्नता दोनों ही खतरनाक मानी जाती है क्योंकि अगर वह अपने भक्तों से नाराज या प्रसन्न हो गए तो वह सीधे उन्हें देख लेंगे और तब भक्त का नाश तय है।

भगवान शनि बेहद ही गुस्सैल प्रकृति के माने जाते हैं। अगर भूल से भी उनकी पूजा में भूल हो जाती है तो वह उसे माफ नहीं कर पाते। इसलिए जब भी भगवान शनिदेव की पूजा करें कुछ बातों को गांठ बांध लें। तो आइए जानें क्या कुछ पूजा करते हुए ध्यान देना जरूरी है।

शनिदेव की पूजा करने से पहले ये बातें जरूर जान लेंः

  • सूर्य उदय के पहले और सूर्यास्त के बाद ही शनिदेव की पूजा की जानी चाहिए।
  • शनिदेव की मूर्ति या प्रतिमा कभी घर में नहीं रखनी चाहिए। उनकी पूजा या तो मंदिर में करें अन्यथा मन में स्मरण कर घर में उन्हें पूजें।
  • शनिदेव को जल या तेल चढ़ाने के लिए कभी भी किसी अन्य धातु का प्रयोग न करें। उन्हें हमेशा लोहे के पात्र में ही जल या तेल का अपर्ण करें। तांबे का प्रयोग तो भूल कर भी न करें।
  • जब भी शनिदेव पर तेल चढ़ाएं याद रखें वह उन पर ही गिरे न की आसपास बिखरने पाए।
  • शनिदेव को लाल रंग की कोई चीज न चढ़ाएं। न फूल न कपड़ा बल्कि उन्हें हमेशा काले रंग से जुड़ी चीजें ही अर्पित करें।
  • शनिदेव को तेल जब भी चढ़ाएं उसमें काला तिल जरूर हो। खाली तेल नहीं चढ़ाया जाता।
  • शनिदेव की पूजा करते समय कभी सीधे से उनका दर्शन नहीं करना चाहिए। साइड से उनका दर्शन करें और पूजा भी।
  • शनिदेव के पूजा वहीं जा कर करें जहां वह शिला के रूप में विराजमान हों।
  • शनिवार को पीपल के पेड़ में जल और दीपक जलाएं। लेकिन ये काम शनिवार को करें।

शनिदेव को हमेशा तिल या सरसों का तेल ही चढ़ाएं और इसी का दीपक जलाएं। शनिवार को तेल का दान करना अपने पर से विपत्ति को हटाने जैसा होता है। इसलिए सरसों का तेल दान जरूर करें।

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