नवरात्रि में देवी के मंदिरों में पूजा-पाठ करने का विशेष महत्व होता है। मंदिरों में जाकर पूजा करने से माना जाता है कि पूजा में शुद्धता ज्यादा होती है। देवी मंदिरों में महिलाओं को पूजा का विशेष अधिकार मिलता है, लेकिन बिहार में देवी का एक मंदिर ऐसा भी हैं, जहां महिलाओं का प्रवेश आज भी वर्जित है। यहां महिलाएं मंदिर के बाहर से ही देवी को प्रणाम कर सकती हैं। वहीं, एक और मंदिर भी हैं, जहां पर देवी की पूजा की पंरपरा अनोखी है। यह परंपरा अच्छी और सीख देने वाली है। तो आइए आपको बिहार के इन दो देवी मंदिरों की परंपरा के बारे में विस्तार से जानकारी दें।
देवी के इस मंदिर में रक्तहीन बलि की परंपरा है
बिहार के मुंडेश्वरी धाम मंदिर में नवरात्रि पर विशेष पूजा-पाठ आयोजित किया जाता है। यहां एक अनोखी परंपरा सालों से चली आ रही है। यह परंपरा रक्तहीन बलि की है। देवी के मंदिरों में पशुबलि दी जाती हैं, लेकिन बिहार के कैमूर जिले के भगवानपुर में पवरा पहाड़ी पर स्थित देवी मुंडेश्वरी के मंदिर में पशुबलि नहीं दी जाती। ये अतिप्राचीन मंदिर 51 शक्तिपीठों में शामिल है।
बकरे पर आती है दिव्य शक्ति
देवी मुंडेश्वरी के इस मंदिर में श्रद्धालु चढ़ावे में बकरा चढ़ाते हैं और यहां के पुजारी जब बकरे को देवी मुंडेश्वरी के चरण में रखते हैं, बकरें में एक दिव्य शक्ति का समावेश होता है। कहा जाता है कि जैसे ही बकरे पर देवी के चरण में रखे अक्षत को डाला जाता है, वह अचेत होकर देवी के शरण में गिर जाता है। कुछ समय पश्चात जैसे ही पुजारी दोबारा देवी के चरण से लेकर अक्षत उस पर डालते हैं वह समान्य रूप से खड़ा हो जाता है। इस बकरे को फिर श्रद्धालु को लौटा दिया जाता है। यह पंरपरा अनोखी होने के साथ अचरज करने वाली भी है।
नवरात्रि में महिलाएं इस देवी मंदिर में नहीं कर सकतीं प्रवेश
महाराष्ट्र के शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं को प्रवेश कर पूजा का अधिकार तो मिल गया, लेकिन बिहार के एक गांव में स्थित एक देवी मंदिर ऐसा भी हैं, जहां महिलाओं को नवरात्रि में देवी की पूजा करने का अधिकार नहीं हैं। असल में इस अधिकार को एक परंपरा की तरह माना जाता है। बिहार के नालंदा जिले के पावापुरी में घासरावां गांव है। इस गांव में देवी का आशापुरी मंदिर है। आशापुरी मंदिर में देवी दुर्गा की पूजा होती है और सभी को पूजा का अधिकार भी है, लेकिन नवरात्रि में यहां एक अनोखी पंरपरा सदियों से चली आ रही है। नवरात्रि में इस मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित हो जाता है। महिलाएं नवरात्रि में देवी मंदिर के बाहर ही उनको प्रणाम कर वापस लौट जाती हैं। इस सबंध में मंदिर प्रबंधकारिणी समिति का कहना है कि क्योंकि, नवरात्रि के दौरान मंदिर में तांत्रिक पूजा होती है, इसलिए यह प्रवेश वर्जित किया जाता है। प्राचीन समय से यह परंपरा चली आ रही है और महिलाएं भी इस परंपरा को नहीं तोड़ना चाहती हैं।
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