हरियाली तीज शुक्ल पक्ष की तृतीया को है और इससे पहले शुक्ल पक्ष की द्वितीया को सिंधारा दूज मनाई जाती है। मुख्यत: सिंधोरा, मिठाई और श्रृंगार के सामान और परिधानों की एक भेंट होती हैं, जो बेटी या बहू को भेजी जाती है। यदि बेटी ससुराल में होती है तो मायके से सिंधोरा भेजा जाता है और यदि बहू मायके गई हो तो ससुराल से सिंधोरा जाता है। सिंधोरा दूज के दिन ही यह भेंट दी जाती है। इसलिए इस दिन का सुहागिनों के लिए खास महत्व होता है। सिंधोरे में आई मेहंदी को सुहागने अपने हाथों में रचाती हैं और अगले दिन तीज का व्रत करती हैं।
सिंधारा दूज को बहुत उत्साह का पर्व होता है। जिन लड़कियों की नई शादी होती है वह पहली तीज अपने मायके में मनाती हैं। ससुराल से आने वाले सिंधोरे का इस दिन बहुत महत्व होता है। सिंधोरे में आए कपड़े और सुहाग के सामान से सुहागिनें खुद को सजाती हैं और पूजा के दिन पहन कर व्रत करती हैं। सिंधोरे में आए उपहार आपस में बांटे भी जाते हैं। फल-मिठाईयां, उपहार, कपड़े और सुहाग के सामान को बांटने का भी रिवाज होता है।
सिंधारा दूज की जानें रीति-रिवाज
सिंधोरा दूज हरियाली तीज का ही एक महत्वपूर्ण अंग होता है। यह दिन बहू-बेटियों के लिए बहुत खास महत्व रखता है।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | अध्यात्म (Spirituality News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल