भगवान गणपति जी की यदि विधिवत पूजा की जाती है तो वह समंत्रक विधि से ही की जानी चाहिए। तभी पूजा का संपूर्ण लाभ मिलता है। समंत्रक विधि को 16 उपचार पूजन के नाम से भी जाना जाता है। भगवान की पूजा को 16 भागों में बांटा गया है। पुराणों में भगवान गणपति की विधिवत पूजा 16 भाग में बांट कर किए जाने का उल्लेख है। पूजा करते समय पूजन सामग्री से लेकर उसे चढ़ाने तक क्रम बंटा हुआ है और ये क्रम ही समंत्रक विधि कहलाता है। शास्त्रों में भगवान गणेश की पूजा में आवाहन, आसन, पाद्य, अर्घ, आचमन, स्नान, वस्त्र, गंध, पुष्प, अक्षत, धूप, दीप, नैवेद्य, तांबूल, द्रव्य दक्षिणा, आरती, परिक्रमा (प्रदक्षिणा) को ही 16 उपचार माना गया है।
तो आइए जानें, क्या है ये 16 उपचार विधि और इसे कैसे किया जाए
इन 16 उपचार के बाद ही गणपति भगवान की पूजा पूर्ण मानी जाती है।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | अध्यात्म (Spirituality News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल