Auspicious Brass Utensils In The House: घर के बुजुर्ग आज भी पीतल के बर्तन में ही खाना खाना पसंद करते हैं। ऐसा माना जाता है कि पीतल के बर्तन में खाना खाना व खाना बनाना काफी लाभदायक होता है, यहीं नहीं बल्कि पूजा-पाठ में भी पीतल के बर्तनों का खास महत्व है। पीतल शब्द पीत से बना है और संस्कृत में पीत का अर्थ पीला होता है। धार्मिक दृष्टि से देखा जाए तो पीला रंग भगवान विष्णु को अति प्रिय होता है। हिंदू धर्म में पूजा पाठ धर्म-कर्म में पीतल के बर्तनों का प्रयोग ही किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि घर में पीतल का बर्तन रखना शुभ होता है। आइए जानते हैं पूजा-पाठ में पीतल के बर्तनों का क्यों उपयोग होता है और कैसे पीतल के बर्तन से ग्रहों को शांत किया जा सकता है।
पीतल के बर्तन ग्रहों को करता है शांत
पीतल के बर्तनों का महत्व ज्योतिष व धार्मिक शास्त्रों में बताया गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पीतल पीले रंग का होता है। और पीला रंग देव गुरु बृहस्पति को संबोधित करता है। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार बृहस्पति ग्रह को शांत करने के लिए पीतल के बर्तन का उपयोग बेहद लाभकारी होता है। ग्रह शांति व ज्योतिष अनुष्ठानों में दान हेतु पीतल के बर्तन दिए जाते हैं।
भगवान विष्णु को प्रिय है पीतल के बर्तन
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पीतल के कलश में चना, दाल भरकर भगवान विष्णु को चढ़ाने से वास्तु दोष खत्म होते हैं और ऐसा करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। भगवान विष्णु को पीतल के बर्तन काफी प्रिय हैं। भगवान विष्णु की पूजा करते वक्त पीतल के बर्तनों का प्रयोग करना काफी शुभ माना जाता है।
जन्म से लेकर मृत्यु तक होता है पीतल के बर्तनों का इस्तेमाल
हिंदू धर्म में जन्म से लेकर मृत्यु के उपरांत तक पीतल के बर्तनों का इस्तेमाल किया जाता है। हिंदू धर्म के अनुसार कई जगहों में ऐसी मान्यताएं है कि बालक के जन्म पर नाल छेदन करने के उपरांत पीतल की थाली को छुरी से पीटा जाता है। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से पितरों को सूचित किया जाता है कि आप के कुल में जाल और पिंडदान करने वाले वंशज का जन्म हो चुका है।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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