नई दिल्ली: भाद्रपद माह के मुख्य पर्वों में कृष्ण जन्माष्टमी भी है। भगवान कृष्ण मां देवकी और वासुदेव की आठवीं संतान थे। वह भाद्रपद माह (अगस्त-सितंबर) के अंधेरे पखवाड़े की आठवीं रात को जन्मे थे। इस तरह यह उत्सव आठ की संख्या का प्रतीक माना जाता है।
कृष्ण जन्माष्टमी मुहूर्त (Krishna Janmashtami 2020 Muhurat)
इस वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी 12 अगस्त को मनाई जाएगी। जन्माष्टमी निशिता पूजा का समय सुबह 11:19 बजे से दोपहर 12:04 बजे तक है; पराना समय 12 अगस्त को सुबह 11:15 बजे शुरू होगा और अगले दिन सुबह 11:15 बजे समाप्त होगा।
कृष्ण जन्माष्टमी को सातम अथम, गोकुलाष्टमी, अष्टमी रोहिणी, जन्माष्टमी, श्री जयंती और श्रीकृष्ण जयंती के रूप में भी जाना जाता है। यह दिन भगवान कृष्ण के प्रति लोगों की आस्था और भक्ति का प्रतीक है।
जन्माष्टमी पूजा विधि (Janmashtami Puja Vdhi)
इस दिन भक्त उपवास करते हैं और आधी रात तक जागते हैं, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि भगवान कृष्ण का जन्म मध्यरात्रि के आसपास हुआ था। इस दिन भगवान कृष्ण की मूर्ति को नए कपड़े पहनाए जाते हैं और फिर उन्हें दूध, पानी और फूलों से नहलाया जाता है।
कई अपने घरों और मंदिरों को रोशनी और फूलों से सजाते हैं। मूर्ति को मिठाई का प्रसाद लगाया जाता है और फिर इसे मित्रों और परिवार में वितरित किया जाता है। जन्माष्टमी उत्सव मथुरा और वृंदावन में सबसे मशहूर है क्योंकि भगवान कृष्ण ने अपना अधिकांश जीवन वहीं बिताया।
कृष्ण जन्माष्मी की प्रथाएं:
जैसा कि भगवान कृष्ण को 'माखनचोर' (मक्खन चुराने वाले) के रूप में जाना जाता था, लोग गलियों में ऊंचे खंभे से दूध, मक्खन या दही के बर्तन लटकाकर उत्सव मनाते हैं और फिर बर्तन तोड़ने के लिए एक दूसरे के ऊपर चढ़ते हैं। यह कृष्ण के बचपन का प्रतीक है।
कई जगह जन्माष्टमी के दिन भक्त भगवान कृष्ण और देवी राधा की तरह पोशाक पहनते थे। कई लोगों का मानना है कि इस अवधि के दौरान, भगवान कृष्ण के नाम पर दान करना बेहद शुभ है।
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