Amavasya 2019: भाद्रपद माह की अमावस्या को कुशोत्पाटिनी अमावस्या या कुशग्रहणी अमावस्या भी कहा जाता है। कुशोत्पाटिनी का अर्थ है कुशा को उखाड़ना। यह आमावस्या भगवान कृष्ण को समर्पित है जिसमें पूजा-पाठ आदि के लिए वर्ष भर तक चलने वाली कुशा का संग्रहण किया जाता है।
इस दिन पवित्र नदी में स्नान, दान और पितरों की पूजा और श्राद्ध आदि करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इस बार कुशोत्पाटिनी अमावया 30 अगस्त 2019, शुक्रवार को मनाई जाएगी। कुशा एक अहम किस्म की घास होती है जिसका उपयोग पूजा-पाठ के अलावा श्राद्ध आदि में भी किया जाता है। यहां जानें इसके महत्व और ध्यान रखने वाली बातों के बारे में यहां।
कुशग्रहणी अमावस्या का महत्व:
इस दिन वैदिक मंत्रोच्चार के साथ अपने हाथों में कुशा लेकर पितरों की पूजा और श्राद्ध एवं तर्पण करना चाहिये। ऐसा करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है और पितर को संतुष्टि और मुक्ति मिलती है।
इस बात का रखें ध्यान:
कुशोत्पाटिनी अमावस्या के दिन कुशा को किस प्रकार से निकाले इसके लिये कुछ नियम का पालन करना होगा। शास्त्रों में दस प्रकार की कुशा का वर्णन दिया गया है। कुशा: काशा यवा दूर्वा उशीराच्छ सकुंदका:। गोधूमा ब्राह्मयो मौन्जा दश दर्भा: सबल्वजा:।। मान्यता है कि घास के दस प्रकारों में जो भी घास सुगमता से एकत्रित की जा सकती हो इस दिन कर लेनी चाहिए।
कुशा को कभी भी चाकू या तेज धार वाली चीज से नहीं काटनी चाहिये। इसे अपने हाथों से तोड़ना चाहिये, जिससे कि यह अखंडित न हो जाए। कुशा को इकठ्ठा करना हो तो सुबह का समय ही चुनें।
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