Bhadli Navami 2022: आज है विवाह के लिए माह का अंतिम शुभ मुहूर्त, जानिए शुभ योग

Wedding In Bhadli Navam 2022: हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को भड़ली नवमी पड़ती है। इस साल भड़ली नवमी 08 जुलाई को मनाई जाएगी। 8 जुलाई के बाद चार महीने तक शुभ व मांगलिक कार्य नहीं किए जाते है। भड़ली नवमी को अबूझ मुहूर्त मानते हैं। यह अक्षय तृतीया के समान्य हैं।

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bhadli navami  |  तस्वीर साभार: Instagram
मुख्य बातें
  • हिंदू धर्म में भड़ली नवमी का विशेष महत्व है
  • भड़ली नवमी का दिन अक्षय तृतीया के समान्य हैं, भड़ली नवमी को अबूझ मुहूर्त मानते हैं
  • इस दिन अक्षय तृतीया की तरह विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश और अन्य मांगलिक कार्य किये जाते हैं

Bhadli Navami 2022 Shubh Muhurat: आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हर साल भड़ली नवमी मनाई जाती है। इस साल भड़ली नवमी 8 जुलाई को पड़ रही है। हिंदू धर्म में भड़ली नवमी का विशेष महत्व है। भड़ली नवमी का दिन अक्षय तृतीया के समान्य हैं। भड़ली नवमी को अबूझ मुहूर्त मानते हैं। इस दिन अक्षय तृतीया की तरह विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश और अन्य मांगलिक कार्य किये जाते हैं। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार जिन लोगों के लिए शादी-विवाह का शुभ मुहूर्त ना बन पा रहा हो, वे भड़ली नवमी के दिन शादी रचा सकते हैं। इस दिन के बाद से यानि 8 जुलाई के बाद से चार महीने के लिए हिंदू धर्म में शादी विवाह व कोई भी मांगलिक कार्य नहीं होता है।

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जानिए, शुभ मुहूर्त

इस साल आषाढ़ माह की नवमी तिथि 7 जुलाई को शाम 7 बजकर 28 मिनट से प्रारंभ होगी और अगले दिन यानी 8 जुलाई को शाम 6 बजकर 25 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि के कारण भड़ली नवमी 8 जुलाई दिन शुक्रवार को पड़ेगी।

बन रहा है ये शुभ योग

ज्योतिष के मुताबिक इस साल भड़ली नवमी पर शिव, सिद्ध और रवि योग का निर्माण होगा। इन योगों में कोई भी शुभ कार्य संपन्न किया जा सकता है। इस दिन कोई भी नए काम की शुरुआत की जा सकती है। कोई नई चीज घर में लाई जा सकती है। नए मकान की रजिस्ट्री की जा सकती है व मांगलिक कार्य भी किए जा सकते हैं। यह दिन सबसे उत्तम माना जाता है।

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चार महीने तक नहीं होंगे शुभ कार्य

हिंदू पंचांग के अनुसार भड़ली नवमी को शाम छह बजे तक शुभ कार्य किए जा सकेंगे। इसके दो दिन बाद चतुर्मास व देवशयनी की शुरुआत हो जाएगी। जिसमें चार महीने तक कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जा सकेंगे। इस दिन के बाद से भगवान विष्णु निद्रा अवस्था में चले जाते हैं। जिस वजह से मांगलिक कार्य होना बंद हो जाते हैं।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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