Chanakya Niti For Success: आज ही कर दें इन गलत आदतों का परित्‍याग, वर्ना कभी नहीं मिलेगी सफलता

Chanakya Neeti in Hindi: आचार्य चाणक्‍य के अनुसार जीवन व कार्य में सफलता हासिल करने के लिए कई नियमों का पालन करना होता है और उसके अनुसार ही कार्य करना पड़ता है। जो व्‍यक्ति लापरवाही व आलस्‍य करते हैं उनके न तो कभी कार्य सही तरह से पूरे होते हैं और न ही वे कभी सफल हो पाते हैं।

Chanakya Neeti
मनुष्‍य की ये चार आदतें है असफलता की निशानी   |  तस्वीर साभार: Representative Image
मुख्य बातें
  • देर तक सोने वाले व्‍यक्ति से सफलता रहती है दूर
  • अस्‍वास्‍थ्‍य व्‍यक्ति हर समय रहता है बीमारियों से घिरा
  • अनुशासन हीनता करने वाला हर कार्य में रहता है असफल

Chanakya Niti in Hindi: चाणक्य नीति के अनुसार सफल वही व्‍यक्ति होता है, जो समय और अनुशासन के साथ जीवन के नैतिक मूल्‍यों का भी पालन करता है। आचार्य चाणक्‍य कहते हैं कि समय सबसे बलवान होता है। यह लोगों को जहां अनुशासन से जीवन जीने का सलीका सीखाता है, वहीं समय लोगों को बुराईयों के गर्त में भी धकेल देता है। इसलिए लोगों को समय के महत्‍व को ध्‍यान में रखकर कार्य योजना बनानी चाहिए और सही दिशा में आगे बढ़तते रहना चाहिए। व्‍यक्ति को सफल अपने आप ही मिलने लगेगी। आचार्य चाणक्‍य ने लोगों को ऐसे कार्यों से दूर रहने की सलाह दी है, जो असफल की निशानी होती है।

देर तक सोना

चाणक्य नीति के अनुसार सुबह देर तक सोना न तो जीवन के लिए फायदेमद रहता है और न ही कार्य के लिए। सुबह सूरज की पहली किरण के साथ जो लोग बिस्तर त्याग देते हैं वे दिनभर के कार्यों को आसानी से पूरा कर लेते हैं। ऐसे लोग जीवन में सफल रहते हैं। जल्द सोना और जल्द जागना मनुष्य के लिए हितकारी है।

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स्‍वास्‍थ्‍य पर ध्‍यान न देना

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति गंभीर नहीं रहते वे कभी भी जीवन में सफल नहीं हो सकते। क्‍योंकि ऐसे लोग हर समय कई तरह के रोगों से घिरे रहते हैं। इनका सारा समय अपने रोग को दूर करने में ही चला जाता है। इसलिए व्‍यक्ति को अपने स्‍वास्‍थ्‍य के प्रति सजग रहना चाहिए। जिससे वह अपने शारीरिक शक्ति का उपयोग सफलता पाने में कर सके।

कड़वी वाणी बोलना

आचार्य चाणक्य का मानना है कि कड़वा वाणी बोलना असफलता की प्रमुख निशानी है। जो लोग कड़वी जुबान बोलते हैं, वे किसी भी कार्य क्षेत्र में सफल नहीं हो पाते। ऐसे लोगों को घर, से लेकर समाज व कार्य स्‍थल हर जगह असफलता ही मिलती है। इसलिए व्‍यक्ति को मधुर वाणी ही बोलनी चाहिए। मधुर वाणी से बडे़ से बड़ा कार्य को आसानी से कराया जा सकता है।

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अनुशासन हीनता

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो व्‍यक्ति खुद को अनुशासित नहीं रखता, वो कभी सफल नहीं हो सकता है। क्‍योंकि अनुशासन की भावना ही व्यक्ति को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्‍साहित करती है। जिसका जीवन अनुशासित है, उसे सफल होने से कोई नहीं रोक सकता है। वहीं अनुशासन हीनता के साथ जीवन जीने वाले जीवन में असफल रहते हैं।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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