संतान कामना के लिये आज 'लोलार्क कुंड' में लगेगी आस्‍था की डुबकी, स्नान करने मात्र से ही भर जाती है सूनी गोद

आध्यात्म
Updated Sep 04, 2019 | 08:19 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

संतान प्राप्‍ति के लिये माताएं तरह तरह के उपवास और व्रत रखती हैं। मगर क्‍या आप जानते हैं कि हमारे देश में एक ऐसा कुंड है जिसमें डुबकी लगाने से माओं की सूनी गोद भर जाती है। इस कुंड का नाम लोलार्क कुंड है। 

Lolark Kund
Lolark Kund  |  तस्वीर साभार: Instagram
मुख्य बातें
  • देश के कोने कोने से लोग संतान पाने के लिए लोलार्क कुंड में आकर स्नान करते हैं
  • हमारे देश में एक ऐसा कुंड है जिसमें डुबकी लगाने से संतान की चाह रखने वाले दंपत्तियों की कामना पूरी हो जाती है
  • लोलार्क कुंड उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी में अस्सी के भदैनी में स्थित है। इस कुंड का बेहद खास महत्व है

Lolark kund varanasi: हिंदू धर्म में संतान प्राप्ति के लिए लोग तरह तरह के उपाय करते हैं। महिलाएं कई देवी देवताओं की पूजा करती हैं मन्नतें मांगती हैं और अपनी सूनी गोद भरने के लिए विभिन्न प्रकार के व्रत और उपवास रखती हैं। इसके अलावा कुछ महिलाएं पुत्र की चाह में सबसे कठिन माने जाने वाले छठ पूजा का भी व्रत रखती हैं।

लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि हमारे देश में एक ऐसा कुंड है जिसमें डुबकी लगाने से संतान की चाह रखने वाले दंपत्तियों की कामना पूरी हो जाती है। प्रत्येक वर्ष इस कुंड पर आस्था का मेला लगता है और देश के कोने कोने से लोग संतान पाने के लिए लोलार्क कुंड में आकर स्नान करते हैं और पूरे विधि विधान से पूजा करते हैं।

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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कहां स्थित है लोलार्क कुंड
लोलार्क कुंड उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी में अस्सी के भदैनी में स्थित है। इस कुंड का बेहद खास महत्व है और माना जाता है कि जो भी दंपत्ति इस कुंड में स्नान करता है उसे संतान का सुख प्राप्त होता है। 

कब है लोलार्क कुंड स्नान
अस्सी के भदैनी स्थित लोलार्क कुंड का स्नान प्रत्येक वर्ष भाद्रपद्र के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को पड़ता है। इसे सूर्य षष्ठी का स्नान भी कहा जाता है। इस वर्ष लोलार्क कुंड स्नान 4 सितंबर को है। हर वर्ष इस कुंड में स्नान का अलग अलग मुहूर्त होता है। आमतौर पर स्नान सूर्योदय से पहले शुरु हो जाता है सूर्यास्त तक चलता रहता है। 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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लोलार्क कुंड का महत्व
इस कुंड के पास स्थित लोलार्केश्वर महादेव मंदिर के महंत के अनुसार एक बार पश्चिम बंगाल के राजा चर्मरोग से पीड़ित थे और उनके कोई संतान नहीं थी। तब उन्होंने वाराणसी स्थित लोलार्क कुंड में आकर स्नान किया। इससे न सिर्फ उनका चर्म रोग ठीक हुआ बल्कि उन्हें संतान की भी प्राप्ति हुई। पुत्र प्राप्ति की खुशी में उन्होंने लोलार्क कुंड का निर्माण सोने की ईंट से कराया। तभी से यहां पर देश भर से लोग पुत्र की कामना के साथ लोलार्क कुंड में स्नान करते हैं। यही कारण है कि इस कुंड का विशेष महत्व है।

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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भर जाती है सूनी गोद
मान्यता है कि लोलार्क कुंड में स्नान करके विधि विधान से कुंड का पूजन करने वाले दंपत्ति की मनोकामनाएं जरूर पूरी होती हैं। इस कुंड में स्नान करने के बाद दंपत्ति को अपने कपड़े और जूता चप्पल यहीं छोड़ना पड़ता है। इसके अलावा लोलार्क कुंड में एक फल भी छोड़ा जाता है। इस कुंड पर संतान की रक्षा के लिए भी प्रार्थना एवं टोने टोटके किए जाते हैं।

अपनी चमत्कारिक शक्तियों के कारण यह कुंड पूरे देश में प्रसिद्ध है। यही कारण है कि संतान प्राप्ति की इच्छा लिए देश भर से लोग सूर्य षष्ठी के दिन यहां आकर इस कुंड में स्नान करते हैं।

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