12 साल बाद होगा भगवान बाहुबली का महामस्तकाभिषेक,जानिए क्या है कहानी

आध्यात्म
Updated Feb 17, 2018 | 11:14 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

बाहुबली के महामस्तकाभिषेक का ये कार्यक्रम 12 साल में एक बार होता है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सात फरवरी को महामस्ताभिषेक से जुड़े अनुष्ठान कार्यक्रम की शुरुआत की थी।

बेंगलुरु से लगभग 155 किमी दूर श्रावणबेलगोला पर भगवान बाहुबली की प्रतिमा है।   |  तस्वीर साभार: PTI

बेंगलुरु. जैन समुदाय के पवित्र तीर्थस्थल त्रवणबेलगोला में आज से जैन महाकुंभ की शुरुआत हो गई है। भगवान बाहुबली के महामस्तकाभिषेक के लिए देश के अलावा विदेश से लाखों भक्त त्रवणबेलगोला में शामिल होने के लिए आ रहे हैं। आपको बता दें कि बाहुबली के महामस्तकाभिषेक का ये कार्यक्रम 12 साल में एक बार होता है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सात फरवरी को महामस्ताभिषेक से जुड़े अनुष्ठान कार्यक्रम की शुरुआत की थी।  

आएंगे 35 से 40 लाख लोग
कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु से लगभग 155 किमी दूर श्रावणबेलगोला के विन्घ्यगिरि पर्वत पर भगवान बाहुबली की ऊंची प्रतिमा है। यह आयोजन 17 फरवरी से 25 फरवरी तक भगवान बाहुबली का महामस्तकाभिषेक होना है। हर 12वें साल होने वाले इस महामस्तकाभिषेक में 35 से 40 लाख लोगों के आने की संभावना है। पिछली बार यह आयोजन 2006 में हुआ था और तब करीब 25 लाख लोग आए थे। 

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इस साल हुआ था निर्माण
प्रथम जैन तीर्थकर आदिनाथ के पुत्र भगवान बाहुबली की 57 फीट ऊंची प्रतिमा विध्यगिरी पहाड़ियों पर स्थित है। भगवान बाहुबली की भव्य मूर्ति का निर्माण 981 में सेनापति चामुंडराय द्वारा कराया गया था। बताया जाता है कि यह दुनिया में अखंड ग्रेनाइट से बनी  सबसी बड़ी मूर्ती है। जैन अनुयायी के अनुसार यही हमारी काशी है। यही हमारा कुंभ है।  महामस्तकाभिषेक के दौरान यहां जैन साधु, मुनि, त्यागी, संत, माताएं सभी होती हैं। इस आयोजन में जैन ही नहीं बल्कि दूसरे धर्म, संप्रदाय के लोग भी हिस्सा लेते हैं।

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हर दिन 30 हजार लोग करेंगे भोजन
भगवान बाहुबली के सत्य,अहिंसा और शांति के रास्ते पर चलने का संदेश देती हैं, ताकि विश्व के मानव समाज में शांति की स्थापना की जा सके। हर बार साल में एक बार महामस्तकाभिषेक किया जाता है। इस साल इस आयोजन के लिए 12 नगर बसाए जा रहे हैं। 17 भोजनशालाओं का निर्माण किया जा रहा है। इनमें हर भोजनशाला में करीब 30 हजार लोग हर दिन भोजन कर सकेंगे।

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