Shivling Parikrama Rules: आखिर क्यों की जाती है शिवलिंग की आधी परिक्रमा, जानिए इसका रहस्य

Shivling Puja Parikrama Rules: भगवान शिवजी की पूजा के कई नियम होते हैं। इन्हीं में से एक है शिवलिंग की पूजा और परिक्रमा से जुड़े खास नियम। अगर आप शिवलिंग की परिक्रमा सही तरीके से नियमानुसार नहीं करते तो आपको पूजा का फल नहीं प्राप्त होगा।

Shivling Parikrama
शिवलिंग परिक्रमा 
मुख्य बातें
  • शिवलिंग की पूरी परिक्रमा करना होता है वर्जित
  • हमेशा बाईं ओर से शुरू करें शिवलिंग की परिक्रमा
  • शिवलिंग की आधी और शिवजी की करें पूरी परिक्रमा

Shivling Puja and Half Parikrama Mystery: हिंदू धर्म में कई देवी-देवताएं हैं और सभी की पूजा के महत्व और नियम भी अलग हैं। बात करें परिक्रमा की तो पूजा में परिक्रमा का नियम वर्षों से चला आ रहा है। सिर्फ देवी-देवताओं की मूर्ति के इर्द-गिर्द ही नहीं बल्कि पूजनीय पेड़-पौधों की भी परिक्रमा की जाती है। कहा जाता है कि परिक्रमा करने से जाने-अनजाने में व्यक्ति द्वारा किए गए पाप नष्ट हो जाते हैं। इसलिए पूजा में परिक्रमा करने का विधान है। आपने कई देवी-देवताओं की पूजा में परिक्रमा के बारे में सुना होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कभी भी शिवलिंग की पूरी परिक्रमा नहीं करनी चाहिए। धार्मिक मान्यताओं में शिवलिंग की आधी परिक्रमा करने के बारे में उल्लेख किया गया है। इसलिए शिवलिंग की आधी परिक्रमा करनी चाहिए।

लेकिन आप शिवजी की प्रतिमा की पूरी परिक्रमा कर सकते हैं। शिवलिंग पूजा का फल आपको तभी प्राप्त होता है जब आप इसकी आधी परिक्रमा करते हैं। अगर शिवलिंग पूजा में आप इन नियमों का पालन नहीं करते तो आपको पूजा का फल प्राप्त नहीं हो पाता। जानते हैं शिवलिंग की आधी परिक्रमा से जुड़े नियम और रहस्य के बारे में..

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कितनी तरह की होती है परिक्रमा

सबसे पहले जानते हैं हिंदू धर्म में परिक्रमाएं कितनी तरह की होती है। इनमें मंदिर की परिक्रमा, पवित्र या पूजनीय वृक्ष की परिक्रमा, तीर्थ स्थान की परिक्रमा, देवी-देवताओं की परिक्रमा और गिरिराज परिक्रमा विशेष होती है। हालांकि सभी परिक्रमा के अलग-अलग नियम होते हैं।

क्यों की जाती है शिवलिंग की आधी परिक्रमा

शिवपुराण में भी शिवलिंग की आधी परिक्रमा के बारे में बताया गया है। इसके अनुसार शिवलिंग को शिव और शक्ति का सम्मिलित ऊर्जा माना गया है। शिवलिंग का आकार अंर्धचंद्राकार होती है। शिवलिंग पर अभिषेक किया जाता है। शिवलिंग पर चढ़ाया गया जल या दूध बहुत पवित्र होता है। ये जल जिस मार्ग से निकलता है उसे सोमसूत्र या जलादारी कहा जाता है। शिवलिंग की परिक्रमा करते समय इस जल स्थान या जलाधारी को लांघना नहीं चाहिए। इसलिए शिवलिंग की आधी परिक्रमा ही की जाती है।

शिवलिंग की परिक्रमा करते समय दिशा का रखें विशेष ध्यान

शिवलिंग की परिक्रमा करते समय दिशा का भी ध्यान रखना जरूरी होता है। शिवलिंग की परिक्रमा कभी भी दाईं ओर से शुरू नहीं करनी चाहिए। हमेशा बाईं ओर से शिवलिंग की परिक्रमा शुरू करें और जलाधारी तक पहुंचने के बाद विपरीत दिशा में घूमकर दूसरी ओर से फिर परिक्रमा को पूर्ण करें।

(डिस्क्लेमर: यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्‍स नाउ नवभारत इसकी पुष्‍ट‍ि नहीं करता है।)

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