क्‍या है मां दुर्गा की 8 भुजाओं का रहस्‍य, कैसे मिला ये नाम

आध्यात्म
Updated Sep 27, 2017 | 11:47 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

8 भुजाओं और तीन नेत्रों वाली मां दुर्गा का रूप अति मनोरम है. वहीं ये जानना भी रोचक है कि उनके रूप से जुड़ी हर चीज उनकी अपार शक्‍त‍ि का प्रतीक है. जानें उनके रूप से जुड़े रहस्‍य...

Maa Durga   |  तस्वीर साभार: TOI Archives

नई दिल्‍ली : मां दुर्गा को शक्‍त‍ि स्‍वरूपा कहा जाता है। नवरात्र में उनके नौ रूपों की विव‍िध तरीकों से पूजा की जाती है। मां दुर्गा अष्‍टभुजाधारी हैं और शेर की सवारी करती हैं। वह त्रिशूल धारण करती हैं और उनको त्र्यम्बके भी कहा जाता है। 

मां के इस रूप की हर चीज किसी न किसी बात का प्रतीक है। शेर की सवारी वास्‍तव में मां की शक्ति का प्रतीक है। यह बताता है कि मां कितनी शक्‍तिशाली हैं और इसी के दम पर वह संपूर्ण विश्‍व को आपदाओं से बचाती हैं।  

मां को क्‍यों कहा जाता है दुर्गा 
शक्‍त‍ि स्‍वरूपा मां को दुर्गा नाम महिषासुर राक्षस का वध करने के बाद मिला था। घोर युद्ध में मां दुर्गा ने अन्‍याय और अत्‍याचार का प्रतीक बन चुके महिषासुर को मार कर अपने भक्‍तों की रक्षा की थी।  

8 भुजाएं हैं दिशाओं की प्रतीक 
मां दुर्गा की 8 भुजाएं हैं और इनको हिंदू धर्म में 8 दिशाओं का प्रतीक माना जाता है। ये भुजाएं इस बात का प्रतीक हैं कि मां हर दिशा से अपने भक्‍तों की रक्षा के लिए मौजूद रहती हैं। वहीं उनके हाथ में त्रिशूल तीन गुणों का प्रतीक है - पहला सतवा यानी मन की स्थिरता, दूसरा राजस यानी लालच और तीसरी तमो यानी आलस व तनाव। कहा जाता है कि त्रिशूल के जरिए मां दुर्गा इन तीनों ऊर्जाओं को संतुलित करती हैं।

तीसरी आंख से मिला त्र्यम्बके नाम 
मां दुर्गा को शिव की अर्धाग्‍नि भी कहा जाता है. पुराणों में जहां शिव को ब्रह्मांड का पिता बताया गया है, वहीं मां दुर्गा को माता कहा गया है। वहीं मां दुर्गा का एक नाम त्र्यम्बके भी है जो उनको उनकी तीसरी आंख की वजह से दिया गया है। मां के ये नैन दरअसल अग्नि, सूर्य और चंद्र का प्रतीक माने जाते हैं। 

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