Maa Saraswati Vandana Ya Kundendu Tushar Har Dhavala Lyrics: मां सरस्वती को विद्या व वाणी की देवी कहा गया है। उनकी पूजा बसंत पंचमी पर मुख्य रूप से होती है जो उनके प्राकट्य का दिवस भी माना जाता है। मां सरस्वती को शारदा, वीणावादिनी, वीणापाणि जैसे नामों से भी जाना जाता है। उनके स्वरूप का बखान ऐसे किया गया है : जिनके एक मुख, चार हाथ हैं। मुस्कान से उल्लास बिखरता है, दो हाथों में वीणा-भाव संचार एवं कलात्मकता की प्रतीक है। पुस्तक से ज्ञान और माला से ईशनिष्ठा-सात्त्विकता का बोध होता है। मां सरस्वती का वाहन राजहंस माना जाता है और इनके हाथों में वीणा, वेदग्रंथ और स्फटीकमाला होती है।
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मां सरस्वती के इस स्वरूप और महानता का बखान उनका वंदना में किया गया है। साहित्य, संगीत, कला की देवी की पूजा में इस वंदना को अनिवार्य रूप से शामिल किया जाता है। अगर आप भी बसंत पंचमी या अन्य किसी मौके पर सरस्वती पूजन करते हैं तो इस वंदना को जरूर पढ़ें।
Saraswati Mata Ki Aarti: ओम जय सरस्वती माता की आरती
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥1॥
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्।
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥2॥
Saraswati Puja: बसंत पंचमी पूजा में कैसी होनी चाहिए मां सरस्वती की मूर्ति
सरस्वती वंदना या कुन्देन्दुतुषारहारधवला का अर्थ
इन शब्दों का अर्थ है कि जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुन्द के फूल, चंद्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह धवल वर्ण की हैं और जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, जिनके हाथ में वीणा-दण्ड शोभायमान है, जिन्होंने श्वेत कमलों पर आसन ग्रहण किया है तथा ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर आदि देवताओं द्वारा जो सदा पूजित हैं, वही संपूर्ण जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली मां सरस्वती हमारी रक्षा करें
शुक्लवर्ण वाली, संपूर्ण चराचर जगत् में व्याप्त, आदिशक्ति, परब्रह्म के विषय में किए गए विचार एवं चिंतन के सार रूप परम उत्कर्ष को धारण करने वाली, सभी भयों से भयदान देने वाली, अज्ञान के अंधेरे को मिटाने वाली, हाथों में वीणा, पुस्तक और स्फटिक की माला धारण करने वाली और पद्मासन पर विराजमान बुद्धि प्रदान करने वाली, सर्वोच्च ऐश्वर्य से अलंकृत, भगवती शारदा (सरस्वती देवी) की मैं वंदना करता या करती हूं।
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