Mahesh navmi 2021 : इस सृष्टि के रचयिता भगवान शिव त्रिदेवों में एक हैं। सनातन धर्म के अनुसार, भगवान शिव प्रमुख देवताओं में आते हैं जिन्होंने इस सृष्टि की रचना की है और जो सबका पालन-पोषण करते हैं। जानकार बतातें हैं कि, शिव का अर्थ कल्याणकारी होता है। शि का मतलब पापों से मुक्त करने वाला और व का मतलब दाता। इतना ही नहीं भगवान शिव को शांतिदाता भी कहा गया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव के आशीर्वाद से महेश्वरी समाज की वंशोत्पति युधिष्ठिर संवत 9 के ज्येष्ठ शुक्ल की नवमी पर हुई थी। महेश नवमी की पूजा पर आप कथा अवश्य पढ़ें इससे शुभ फल की प्राप्ति होती है।
Mahesh navami Vrat katha in hindi, महेश नवमी की कथा
पौराणिक और प्रसिद्ध कथा के अनुसार, यह कहा जाता है कि महेश्वरी समाज के पूर्वज क्षत्रिय थे। एक बार वह शिकार करने गए, उनके शिकार करने की वजह से वहां मौजूद कुछ ऋषियों की तपस्या में विघ्न आ गया था। इससे ऋषियों को क्रोध आ गया, जब ऋषियों को यह पता चला की वह शिकार करने के लिए आए हैं तो उन्होंने महेश्वरी समाज के पूर्वजों को श्राप दे दिया। ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर भगवान शिव ने महेश्वरी समाज के पूर्वजों को इस श्राप से मुक्ति दिलाई और उनकी रक्षा की। इसके साथ भगवान शिव का आशीर्वाद पा कर उन्होंने हिंसा को त्यागने का संकल्प लिया। आशीर्वाद देने के साथ भगवान शिव ने इस समाज को अपना नाम दिया, तबसे यह समाज महेश्वरी समाज के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
महेश नवमी 2021 तिथि और मुहूर्त, Mahesh navami 2021 Date and Muhurat
महेश नवमी तिथि: - 19 जून 2021, शनिवार
नवमी तिथि प्रारंभ: - 18 जून 2021 शाम (08:35)
नवमी तिथि समापन: - 19 जून 2021 शाम (04:45)
महेश नवमी का महत्व, Mahesh navami significance
यह तिथि महेश्वरी समाज के लोगों कि लिए अत्यंत विशेष है। इस दिन पूरे विधि-विधान के अनुसार, भगवान शिव की अराधना की जाती है। इस दिन मां पार्वती की पूजा करना भी लाभदायक बताया जाता है। महेश नवमी पर जलाभिषेक अवश्य करना चाहिए इससे भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है और सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
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