शास्त्रों में गुरुवार का दिन भगवान विष्णु की पूजा का होता है और इस दिन केले के पेड़ कि पूजा का भी बहुत महत्व होता है। यही कारण है कि सत्यनारायण कथा में केले के पत्ते का प्रयोग जरूर प्रयोग होता है। केले के वृक्ष में साक्षात भगवान विष्णु का वास होता है। मलमास को पुरुषोत्तम मास माना गया है और ऐसे में अगर आप गुरुवार को केले के पेड़ की पूजा करते हैं तो आप पर भगवान बृहस्पति की आप पर कृपा होगी। गरुवार को गुरु बृहस्पति की पूजा तभी पूर्ण होती है जब केले के पेड़ की पूजा होती है। गुरु बृहस्पति भी भगवान विष्णु का ही रूप माने गए हैं। इसलिए केले के वृक्ष को शुभ और संपन्नता का प्रतीक माना जाता है।
जानें, मलमास में केले की पेड़ की पूजा करने से होगा ये शुभलाभ
यदि आपका बृहस्पति ग्रह कमजोर है अथवा विवाह होने में दिक्कत आ रही तो आपको पुरुषोत्तम मास में केले के पेड़ की पूजा जरूर करनी चाहिए। कम से कम गुरुवार के दिन केले के पेड़ की पूजा जरूर करें। इससे घर में आर्थिक सम्पन्नता भी आती है।
यदि दांपत्य जीवन में कठिनाई हो या संतान सुख न हो तो पुरुषोत्तम मास में केले के पेड़ की पूजा गुरुवार के दिन जरूर करनी चाहिए। इससे पारिवारिक क्लेश भी दूर होता है और संतान सुख की प्राप्ति होती है।
आर्थिक समस्या से जूझ रहे हैं तो पुरुषोत्तम मास में केले के पेड़ की पूजा आपको इस समस्या से निकाल देगा।
नौकरी या व्यवसाय की दिक्कत हो तो केले के पेड़ की पूजा गुरुवार को जरूर करें। पुरुषोत्तम मास में केले के पेड़ की पूजा का दोगुना लाभ मिलता है। इसलिए इस मास में पूजा जरूर करें।
यदि घर में नकारात्मक ऊर्जा भरी हो तो घर में सत्यनारायण की कथा पुरुषोत्तम मास में सुने और केले के पत्ते में प्रसाद व भोजन परोसें।
, पीले अक्षत, पीले फूल व भोग में पीले पकवान या फल अर्पित करें।
गुरुवार को ऐसे करें, केले के पेड़ की पूजा
गुरुवार के दिन सुबह स्नान-ध्यान कर मौन व्रत करें और इसके बाद सर्वप्रथम केले के वृक्ष को प्रणाम कर जल चढ़ाएं। यदि घर की आंगन में केले का वृक्ष है तो उस पर जल ना चढ़ाएं। केले के पेड़ जल जब भी चढ़ाएं वह घर से बाहर होना चाहिए। इसके बाद केले के पेड़ की जड़ में हल्दी की गांठ, चने की दाल और गुड़ अर्पित करें। इसके बाद अक्षत, पुष्प आदि चढ़ाएं और केले के पेड़ की परिक्रमा करें। याद रखें यदि आप केले के पेड़ घर में लगा रहे तो उसमें तुलसी का पौधा जरूर लगाएं।
इस मंत्र का जाप करें
ॐ बृं बृहस्पते नम: ।।
बृहस्पति मंगल मंत्र
जीवश्चाङ्गिर-गोत्रतोत्तरमुखो दीर्घोत्तरा संस्थित:
पीतोश्वत्थ-समिद्ध-सिन्धुजनिश्चापो थ मीनाधिप:।
सूर्येन्दु-क्षितिज-प्रियो बुध-सितौ शत्रूसमाश्चापरे
सप्ताङ्कद्विभव: शुभ: सुरुगुरु: कुर्यात् सदा मङ्गलम्।।
पुरुषोत्तम मास में भगवान विष्णु के हर स्वरूप की पूजा करें और गुरुवार को केले के पेड़ की पूजा करें। आपके सारे दुख-संकट और रोग दूर हो जाएंगे।
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