Menstruation Period During Vat Savitri Vrat: मासिक धर्म, माहवारी या पीरियड किशोरावस्था शुरू होने पर हर महिला को होती है। माहवारी प्रकृति का नियम है। लेकिन हिंदू धर्म में महिलाओं को माहवारी के दौरान कई तरह की सावधानियां बतरनी की सलाह दी जाती है। खासकर इस दौरान पूजा-पाठ जैसे शुभ कार्य करने पर मनाही होती है। लेकिन क्या करें अगर वट सावित्री व्रत के शुभ अवसर पर ही किसी महिला को पीरियड आ जाए। कई महिलाएं इसे लेकर परेशान रहती है। वट सावित्री के तिथि के आसपास अगर पीरियड की डेट होती है तो इसे लेकर महिला कई दिन पहले से ही चिंतित रहती हैं। क्योंकि वट सावित्री का व्रत साल में एक बार आता है, जोकि सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास माना जाता है। इस दिन महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं और पूजा-पाठ करती हैं।
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वट सावित्री की पूजा में अगर आप पीरियड को लेकर परेशान हैं, या फिर वट सावित्री के दिन ही मासिक धर्म आ जाता है, तो परेशान न हों। यहां हम आपको बताएंगे कि क्या मासिक धर्म में वट सावित्री का व्रत रखा जा सकता है या नहीं अथवा पूजा की जा सकती है या नहीं। इस लेख में आपको इन सारे सवालों के जवाब मिलेंगे और आपकी चिंता दूर हो जाएगी।
कब है वट सावित्री व्रत
इस बार वट सावित्री का व्रत सोमवार 30 मई 2022 को रखा जाएगा। हिंदू धर्म के अनुसार वट सावित्री का व्रत हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि के दिन रखा जाता है। अमावस्या तिथि रविवार 29 मई दोपहर 2:54 मिनट पर शुरू हो जाएगी और अमावस्या तिथि का समापन सोमवार शाम 4:49 पर होगा।
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पहली बार कर रहीं हैं वट सावित्री का व्रत तो इस बात का रखें ध्यान
पीरियड आना हर महिला के लिए सामान्य सी बात है। इसे अपशकुन नहीं मानना चाहिए। क्योंकि सृष्टि में मानव की उत्पत्ति का आधार मासिक धर्म से ही है। लेकिन अगर आप पहली बार वट सावित्री का व्रत रखने जा रही हैं और आपको पीरियड आ जाए तो व्रत शुरू ना करें। आप अगले साल से व्रत करना शुरू करें।
मासिक धर्म में ऐसे करें वट सावित्री की पूजा
वट सावित्री के दिन आपको पीरियड या मासिक धर्म आ जाए तो आप बाल धोकर स्नान कर लें और साज-श्रृंगार कर तैयार हो जाएं। इस दिन व्रत रखें लेकिन पूजा सामग्री को न छुएं। आप घर की किसी अन्य महिला से पूजा करवा सकती हैं। पूजा के अलावा आप सारी विधियां कर सकती हैं। जैसे पति के पैर धोना, रक्षासूत्र बांधना, पति को तिलक लगाना आदि। लेकिन भगवान की मूर्तियों और पूजा सामग्रियों को नहीं छूना चाहिए। आप पूजा स्थल से दूर बैठकर वट सावित्री की व्रत कथा भी सुन सकती हैं। इसमें कोई मनाही नहीं होती है।
(डिस्क्लेमर: यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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